बेहद कम रोशनी और खूंखार लुटेरे... सोमालिया के समंदर में MARCOs को उतारने वाले विंग कमांडर की बहादुरी की कहानी

विंग कमांडर अक्षय सक्सेना को जून 2006 में भारतीय वायु सेना (IAF) में नियुक्त किया गया था. उन्हें फरवरी 2021 से C-17 स्क्वाड्रन में तैनात किया गया. 16 मार्च 2024 को अरब सागर में हुए समुद्री डकैती के खिलाफ मिशन को उन्होंने लीड किया था.

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विंग कमांडर सक्सेना ने जमीन और हवा दोनों में को-ऑर्डिनेशन बनाए रखा. मिशन की गोपनीयता का ख्याल भी रखा.
नई दिल्ली:

भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के विंग कमांडर अक्षय सक्सेना (Wing Commander Akshay Saxena) को अरब सागर में समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के दौरान उनके असाधारण योगदान के लिए वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया है. गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के एक दिन पहले उन्हें इस पदक से सम्मानित किया गया. विंग कमांडर अक्षय सक्सेना को जून 2006 में भारतीय वायु सेना (IAF) में नियुक्त किया गया था. उन्हें फरवरी 2021 से C-17 स्क्वाड्रन में तैनात किया गया. अरब सागर में पिछले साल 16 मार्च को सोमालिया के समुद्री लुटेरों के खिलाफ चलाया गया ये मिशन भारतीय नौसेना के ऑपरेशन संकल्प का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना था.

इस मिशन का लक्ष्य समुद्री डाकुओं से नियंत्रित एक जहाज था, जिसने व्यापारिक जहाजों पर हमला किया था. इस जहाज ने INS कोलकाता पर भी गोलीबारी की थी. विंग कमांडर अक्षय सक्सेना ने बेहद कम रोशनी में 10 घंटे लंबे इस मिशन में उड़ान भरी थी. उन्होंने कमर्शियल जहाज के 17 क्रू मेंबर को बचाने के लिए 2 हमलावर क्राफ्ट बोट और 18 मार्कोज कमांडोज की एक टीम को हवाई जहाज से सोमालिया तट के पास उतारा था.

रक्षा मंत्रालय ने 25 जनवरी को एक बयान में कहा, "विंग कमांडर सक्सेना ने उपयुक्त क्रू टीम को फाइनल किया. इस मिशन में एक्सटेंडेड टाइमलाइन के अलावा समुद्री डाकुओं के साथ छोटे हथियारों का वास्तविक खतरा शामिल था." 

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1,450 समुद्री मील दूर था मिशन का ऑब्जेक्टिव एरिया
मिशन का ऑब्जेक्टिव एरिया सोमालिया तट के पास 1,450 समुद्री मील NM (नॉटिकल माइल) और इंडियन फ्लाइट इंफॉर्मेशन रीजन से 540 NM दूर था. एक NM करीब 1.8 किलोमीटर होता है. फ्लाइट इंफॉर्मेशन रीजन विशिष्ट आयामों का एक परिभाषित हवाई क्षेत्र है, जिसके भीतर उड़ान सूचना और चेतावनी सेवाएं दी जाती हैं.

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विंग कमांडर ने मिशन के दौरान हर तरह की बरती सावधानी
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि C-17 एयरक्राफ्ट के कैप्टन विंग कमांडर सक्सेना ने इस मिशन के दौरान सभी एमीटर्स को स्विच ऑफ कर दिए थे. उन्होंने विदेशी क्षेत्र में बेहद कम रोशनी में उड़ान भरी थी. पहचान से बचने के लिए उन्होंने शाम के अंधेरे में मार्कोज कमांडोज को एयरड्रॉप किया था.

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सटीक और सुरक्षित एयरड्रॉप किया सुनिश्चित
यहां तक कि ड्रॉप से सिर्फ 50 नॉटिकल माइल (NM) पहले ड्रॉप लोकेशन बदले जाने के बाद भी विंग कमांडर ने क्रू मेंबर का सटीक और सुरक्षित एयरड्रॉप सुनिश्चित किया. इसके नतीजतन समुद्री लुटेरों को पकड़ लिया गया और 17 क्रू मेंबर वाले MV Ruen को रेस्क्यू किया गया.

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जमीन और हवा में बनाए रखा को-ऑर्डिनेशन
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, विंग कमांडर सक्सेना ने जमीन और हवा दोनों में को-ऑर्डिनेशन बनाए रखा. उन्होंने करीब 10 घंटे लंबे मिशन की गोपनीयता बनाए रखने के लिए सभी संभव उपाय किए.
 

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