अमेरिका ने न्यूट्रल रुख बनाए रखते हुए इस्लामाबाद को एक कड़ा संदेश दिया
Ceasefire After 4 Days: ड्रोन अटैक, मिसाइल हमलों और फाइटर जेट्स द्वारा 4 दिनों तक दागे गए बमों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा हो गई. लेकिन चौथे दिन ऐसा क्या हुआ कि मरते दम तक युद्ध लड़ने की गीदड़भभकी देने वाले पाकिस्तान ने पीछे हटने का फैसला ले लिया. सूत्रों की मानें तो भारत के सब्र का बांध टूटता देख पाकिस्तान खौफ में आ गया था. पाकिस्तान को डर था कि भारत अब कुछ ऐसा करने जा रहे है, जिससे वहां तबाही आ सकती है. ऐसे में पाकिस्तान ने झुकने में अपनी भलाई समझी और सीधा संयुक्त राष्ट्र की शरण में पहुंच गया. इसके बाद पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने भारत से सीधे हॉटलाइन पर बात की और फिर सीजफायर पर सहमति बनी.
ऐसे पीछे हटने को मजबूर हुआ पाकिस्तान
- सरकारी सूत्रों के अनुसार, 10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान वायुसेना (पीएएफ) के प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाकर ब्रह्मोस-ए (हवा से दागी जाने वाली) क्रूज मिसाइलें दागीं. पहले कंफर्म अटैक रावलपिंडी के पास चकलाला और पंजाब प्रांत के सरगोधा में हुए. ये दोनों ही आर्मी बेस पाकिस्तान सेना के लिए रणनीतिक विमानन और गोलाबारूद रखते हैं. पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pok)- जैकोबाबाद, भोलारी और स्कार्दू में अतिरिक्त ठिकानों पर हमलों की पुष्टि शाम को ही हुई, जब एजेंसियों ने खुफिया जानकारी के जरिए नुकसान का आकलन पूरा किया.
- हमलों के तुरंत बाद, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तानी डिफेंस नेटवर्क पर हाई अलर्ट मैसेज फ्लैश होते हुए देखा. ये मैसेज था कि भारत अगला निशाना पाकिस्तान के परमाणु कमांड और नियंत्रण ढांचे को बना सकता है. रावलपिंडी में रणनीतिक प्रतिष्ठानों, जिनमें पाकिस्तान के रणनीतिक योजना प्रभाग से जुड़े कार्यालय भी शामिल हैं. ऐसे में उन्होंने कथित तौर पर सुरक्षा प्रोटोकॉल बढ़ा दिए.
- इसी समय पाकिस्तान ने तुरंत बीच-बचाव करने के लिए अमेरिका से संपर्क किया. सरकारी सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी तनाव बढ़ने की आशंका में पहले से ही दोनों पक्षों के संपर्क में थे. लेकिन रणनीतिक ठिकानों के बारे में अलर्ट के कारण वाशिंगटन को और अधिक निर्णायक कदम उठाना पड़ा.
- ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका ने न्यूट्रल (तटस्थ) रुख बनाए रखते हुए इस्लामाबाद को एक कड़ा संदेश दिया है: आधिकारिक सैन्य हॉटलाइन का इस्तेमाल करें और बिना किसी देरी के तनाव कम करें. अमेरिका ने "व्यावहारिक रूप से" पाकिस्तानी पक्ष को भारतीय सेना के लिए अपनी डायरेक्ट लाइन एक्टिव करने और किसी भी देरी से बचने का आदेश दिया.
- 10 मई की दोपहर तक, जब भारत द्वारा पाकिस्तान के कई बड़े हमलों को नाकाम कर दिया गया, तब पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने अपने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को सीधे फोन किया. कॉल का समय, 15:35 बजे IST था, जिसकी बाद में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस ब्रीफिंग में पुष्टि की.
- सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत प्रोटोकॉल के बाहर पाकिस्तान के साथ किसी भी औपचारिक कूटनीतिक या सैन्य वार्ता में शामिल न होने के अपने रुख पर कायम है. इसका मतलब यह है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद, नई दिल्ली ने मध्यस्थता में शामिल नहीं हुआ और इसके बजाय संकेत दिया कि भारतीय सशस्त्र बल अगले लेवल तक जाने के लिए तैयार हैं, जिसमें कथित तौर पर ऊर्जा और आर्थिक लक्ष्यों पर हमले, साथ ही साथ डीप स्ट्रैटेजिक स्ट्रक्चर शामिल होंगे.
- भारत ने पुष्टि की है कि 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद लिए गए उसके निर्णय, जिसमें सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को अस्थायी रूप से निलंबित करना भी शामिल है, युद्धविराम से अप्रभावित रहेंगे. यानि भारत द्वारा पाकिस्तान पर की जा रही वाटर स्ट्राइक जारी रहेगी.
भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) की 12 मई को दोपहर 12 बजे मुलाकात होना तय हुआ है. इस बीच भारत ने साफ कर दिया है कि अगली बार कोई भी आतंकी हमला युद्ध की कार्रवाई (Act of War) माना जाएगा और सजा इस बार से कई ज्यादा होगी.