बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर इस बार भाजपा की पसंद झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है. इसकी घोषणा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने पटना में की. राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने पटना में पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ये फैसला पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार ने इस आधार पर लिया है कि मुर्मू ना केवल गरीब परिवार में जन्मी हैं, बल्कि नीतीश जी सिद्धांतत: महिला सशक्तिकरण और समाज के शोषित वर्गों के प्रति समर्पित रहे हैं.
हालांकि नीतीश के समर्थक भी मानते हैं कि अगर बात महिला सशक्तिकरण की है तो पिछले राष्ट्रपति के चुनाव में बिहार की बेटी वो भी दलित समाज से आने वाली मीरा कुमार की उम्मीदवारी का उन्होंने विरोध क्यों किया था? नीतीश जो इन दिनों अपनी सत्ता सहयोगी भाजपा से खफा चल रहे हैं, फिलहाल इस मुद्दे पर विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन नहीं करना चाहते. इसके पीछे यशवंत सिन्हा का पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार और उनकी सरकार के प्रति हमेशा आक्रामक और आलोचनात्मक रवैया मुख्य कारण है.
ये भी पढ़ें- राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाए जाने पर खुश होने के साथ आश्चर्यचकित हैं द्रौपदी मुर्मू
नीतीश स्वभाव से यशवंत सिन्हा को कभी पसंद नहीं करते. भाजपा के बिहार के नेताओं की मानें तो नीतीश कुमार के फैसले को लेकर उन्हें बहुत अधिक चिंता इसलिए नहीं थी कि उन्हें मालूम था कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले के खिलाफ जाना अपनी कुर्सी को दांव पर लगाने के जोखिम-सा था और नीतीश फिलहाल कुर्सी त्यागना नहीं चाहते. उन्हें मालूम है कि उनके फैसले से फ़िलहाल उन्हें कुछ समय के लिए राहत मिल जाएगी.