दिल्ली में बारिश और यमुना का जलस्तर बढ़ने के चलते कई इलाकों में पानी भर गया और जलभराव की समस्या से भी जूझना पड़ा. जलभराव की इस समस्या से न सिर्फ आम लोग जूझते नजर आए बल्कि कुछ ऐतिहासिक इमारतों में भी पानी भर गया. बाढ़ और बारिश के चलते ऐतिहासिक इमारतों का हाल जानने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निदेशक वसंत कुमार स्वर्णकार से एनडीटीवी ने खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि दिल्ली की जिन ऐतिहासिक इमारतों में पानी भरा है, उनमें मुख्य रूप से लाल किला शामिल है.
स्वर्णकार ने कहा कि लाल किले के रिंग रोड साइड पर एक ओर लाल किला है तो दूसरी ओर सलीमगढ़ किला है और दोनों को मंकी ब्रिज जोड़ता है. इस इलाके में काफी पानी भरा है और पानी का स्तर दो फीट तक गया है. वहां कई दिन से पानी भरा है. उन्होंने बताया कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. पानी की वजह से गाद और कीचड़ है. फिलहाल लाल किले के अंदर कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन पानी के बाहर निकलने के बाद हम निरीक्षण करेंगे और उसके बाद ही बता पाएंगे कि कितना नुकसान हुआ है.
उन्होंने बताया कि लाल किले का निर्माण इस तरह से किया गया था कि पानी में भी चीजें सुरक्षित रहें. लेकिन लाल किले के निर्माण को सालों हो गए और स्मारक हमेशा उस स्थिति में नहीं रहते. इसलिए पानी उतरने के बाद ही नुकसान का पता चल पाएगा. उन्होंने कहा कि अभी जो सर्वे हुआ है उसमे कोई नुकसान नहीं दिखा है.
उन्होंने बताया कि वजीराबाद में एएसआई के अधिकार क्षेत्र में एक पुराना ब्रिज और मकबरा आता है. उसके आसपास भी पानी भरा हुआ है. पानी उतरने के बाद ही हम वहां का निरीक्षण कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि आईएसबीटी बस अड्डे के सामने कुदसिया बाग में कुदसिया मस्जिद में भी पानी भरा है.
स्वर्णकार ने बताया कि कुछ जगह फेंसिंग टूटी है. कुतुबमीनार में एक दीवार टूट गई है और पेड़ गिरने से फेसिंग टूटी गई है.
बता दें कि दिल्ली में एएसआई के अधीन 173 स्मारक आते हैं, जिसमें से 5-6 पर बारिश और बाढ़ का प्रभाव पड़ा है.
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