"जो विभाजित या बहिष्कृत करता है, वह हिंदुत्व नहीं" : RSS नेता कृष्ण गोपाल

गोपाल ने कहा, ‘‘हिंदुत्व समावेशी है, यह मानवता को विभाजित नहीं करता है. हमारे दुश्मन को भी हमारी दृष्टि और विचारों से बाहर करने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि हम मानते हैं कि हम सबके बिना अधूरे हैं.’’

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विश्व बंधुत्व, हिंदुत्व और हिंदुस्तान का मौलिक दर्शन : डा. कृष्ण गोपाल
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त सचिव कृष्ण गोपाल ने रविवार को कहा कि हिंदुत्व समावेशी है क्योंकि ये मानवता को विभाजित नहीं करता और हजारों वर्षों से इस मौलिक विचार और दर्शन के साथ जीने वाले हिंदू हैं. उन्होंने यहां ‘‘हिंदुत्व अर्थात भारतीय एकात्मता, मुस्लिम विद्वेष नहीं'' नामक पुस्तक के अनावरण के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा कि जो विभाजित या बहिष्कृत करता है वे हिंदुत्व नहीं है, जो स्वयं की तलाश कर रहे हैं और विभाजनकारी विचार रखते हैं, वे संकीर्ण सोच वाले हैं. गोपाल ने कहा कि भारत उन लोगों की भूमि है जिन्होंने अपने धर्म और राजनीतिक विचारों के बावजूद सभी को गले लगाया है.

आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘इस देश में इस तरह की विभाजनकारी सोच नहीं है कि यह मेरा है और वह आपका है तथा जो कोई भी इस तरह सोचता है वे संकीर्ण सोच वाला है. धृतराष्ट्र (महाभारत महाकाव्य में दुर्योधन के पिता) के पास यह विचार था और उन्हें सबक मिला.''

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पुस्तक के शीर्षक पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुत्व केवल भारतीय एकजुटता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है. क्योंकि देश के लोग इस मौलिक दर्शन का पालन करते हुए अपने कर्मों, कार्यों और व्यवहार में दुनिया के कल्याण को ध्यान में रखते हैं.

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गोपाल ने कहा, ‘‘हिंदुत्व समावेशी है, यह मानवता को विभाजित नहीं करता है. हमारे दुश्मन को भी हमारी दृष्टि और विचारों से बाहर करने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि हम मानते हैं कि हम सबके बिना अधूरे हैं.'' भारत की किसी परंपराओं अथवा संत पुरुष ने केवल अपने समाज और शिष्यों के कल्याण की बात नहीं की, बल्कि पूरे विश्व के लोगों में अपना परिवार देखा. इस विचार से पूरे विश्व को हम एक कर सकते हैं अन्यथा झगड़े और विवाद होते रहेंगे. भारत सबके अंदर एक ईश्वरीय तत्व को देखता है. जो मेरे अंदर वहीं तुम्हारे अंदर, हम सब एक है. ये तब से है जब हिंदू शब्द भी नहीं था. प्राणी मात्र के कल्याण की कामना की इस भावना को पूरे विश्व ने कोराेना महामारी में देखा. जरूरतमंदों के लिए भोजन ही नहीं पशुओं-पक्षियों के भोजन की भी चिंता की गई.

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हजारों वर्षों से विश्व इसका गवाह है. जिसने भी यहां शरण मांगी, उसे सहृदयता से आत्मसात किया. उनकी पूजा पद्धति, पुस्तकें, कर्मकांड, धार्मिक स्थल सभी को आदर के साथ जगह दी.

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उन्होंने कहा कि धार्मिक व राजनीतिक विचार भले ही अलग-अलग हो, लेकिन इस सृष्टि से हैं, इसलिए हमारे हैं. हिंदुत्व को इसी वृहद आकार में ही देखने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि अगर इसे छोटे रूप में देखेंगे और विविधता सहन नहीं होगी तब विवाद होगा.

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इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने सही और सत्य के साथ खड़े होने का साहस दिखाने की अपील करते हुए कहा कि रावण भी प्रकांड विद्वान था, लेकिन उसके गलत कार्यों के कारण उसे शैतान कहा गया. कंस मथुरा का राजा था, लेकिन वहां के लोग उसे नहीं पूजते. इसी साहस की आवश्यकता है. देश में मुस्लिम आक्रांताओं के हमले का जिक्र करते हुए कहा कि कोई घर पर कब्जा कर लें, उसे ध्वस्त कर दें. यह कहां का लोकतंत्र है, लेकिन चाहे वह अपने धर्म का ही क्यों न हो. हम अपना घर पाने के लिए लड़ेंगे. पीढ़ी दर पीढ़ी लड़ेंगे. इस सत्य को कब समझेंगे. कब तक लोगों को अंधेरे में रखेंगे. कभी तो सत्य को आने देंगे. हम सबका डीएनए एक था, है और एक रहेगा. हमारे पूर्वज हिंदुस्तान के थे, यह जितना जल्द समझ लेंगे. हम सबके लिए उतना ही अच्छा होगा.

उन्होंने कहा कि हल निकालने के लिए स्वस्थ विमर्श होनी चाहिए. तभी शांति आएगी और विकास होगा. इस मौके पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पदाधिकारी, शिक्षाविद, साहित्यकार, राजनेता, महिलाएं व छात्र समेत अन्य लोग मौजूद रहे.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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