बांग्लादेश में जब से शेख हसीना सरकार सत्ता से बाहर गई है, तब से वहां हिंदू निशाने पर हैं. अब तक कई मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है और पुजारियों को परेशान किया जा रहा है. ऐसे में कई परेशान बांग्लादेशी हिंदू भारत आना चाहते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा भी नहीं करने दिया जा रहा है. बांग्लादेश में पुलिस ने रविवार को भारत जाने की कोशिश कर रहे अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के 63 पुजारियों को बेनापोल सीमा चौकी से वापस भेज दिया. हालांकि, उनके पास वैध यात्रा दस्तावेज थे. इसके बावजूद उन्हें भारत आने से रोका गया.
बेनापोल-पेट्रापोल क्रॉसिंग से भारत आ रहे थे
मीडिया के अनुसार, बांग्लादेश पुलिस ने 'संदिग्ध यात्रा' का हवाला देते हुए उन्हें आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दी. कुछ लोगों ने तो यह भी दावा किया कि सीमा पर पहुंचने वाले हिंदुओं की कुल संख्या 70 से ज्यादा थी. जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों से हिंदू श्रद्धालु शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित भूमि बंदरगाह पर पहुंचे थे. वे बेनापोल-पेट्रापोल क्रॉसिंग के माध्यम से भारत जाना चाहते थे. बांग्लादेश के अंग्रेजी दैनिक डेली स्टार ने बेनापोल इमिग्रेशन चेकपोस्ट के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भुइया के हवाले से कहा, 'हमने पुलिस की विशेष शाखा से परामर्श किया और उच्च अधिकारियों से उन्हें अनुमति नहीं देने के आदेश मिले.'
CM हिमंता बिस्व सरमा ने व्यक्त की चिंता
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने भी इस्कॉन के पुजारियों को रोकने की घटना पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह दुखद है और भारत सरकार पहले ही इस पर प्रतिक्रिया दे चुकी है. मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कूटनीतिक कदम उठा रहे हैं. हमारी ओर से बांग्लादेश में अधिकारियों के साथ बातचीत हो रही है. हालांकि, हम पड़ोसी देश के हालिया घटनाक्रम से चिंतित हैं.'
भारत क्यों नहीं जाने दिया... कारण नहीं बताया
इस्कॉन समूह के कई सदस्यों को शनिवार रात से सीमा चौकी पर इंतजार करने के लिए कहा गया था. उन्होंने बताया कि वे वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भारत जा रहे थे, लेकिन रविवार को उन्हें वापस भेज दिया गया। अधिकारियों ने इस कदम का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है. इस्कॉन के सदस्यों में से एक सौरभ तपंदर चेली ने मीडिया को बताया, 'हम भारत में एक धार्मिक समारोह में हिस्सा लेने जा रहे थे, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने सरकारी अनुमति न होने का हवाला देते हुए हमें रोक दिया.'
भारत की तरफ पेट्रापोल में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) का उद्घाटन जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संयुक्त रूप से किया था. बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बाद से अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा गंभीर हमले हो रहे हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में, बांगलादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता और इस्कॉन बांगलादेश से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद देश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी, लूटपाट, चोरी, तोड़फोड़ और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं तथा मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए हैं.
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