हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट पर अलग-अलग क्षेत्र से लगातार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. बैंकिंग विशेषज्ञ अश्विनी राणा ने इस मामले पर विचार रखे हैं. उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग का मकसद देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना है.
उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग सेबी और देश को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है. यह कंपनी शॉर्ट सेलिंग का काम करती है. वो अलग-अलग देशों में कंपनियों की रिपोर्ट बना कर उनके शेयर को गिराती है. फिर उसे खुद खरीदने का काम करती है.
वो खुद इस तरह के धंधे में शामिल है. उसका इस तरह से आरोप लगाना निराधार है. सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच के आदेश दिए थे. सेबी ने अपनी जांच में कुछ भी नहीं पाया है. इसलिए हिंडनबर्ग अब सेबी के ऊपर हमला कर रहा है. मुझे नहीं लगता है कि उन्हें कोई सफलता मिलेगी. अश्विनी राणा ने कहा कि हिंडनबर्ग का मुख्य काम शार्ट सेलिंग करना है. बाजार में भूचाल लाकर उनके शेयर को नीचे गिराना इस कंपनी का उद्देश्य है.
इस मामले पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया पर अश्विनी राणा ने कहा कि विपक्षी दलों का आज यही काम है. वो इस तरह के एजेंडे में शामिल हैं. विदेशी ताकतों के साथ इस देश की अर्थव्यवस्था और सरकार को अस्थिर करने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि सेबी उनका मोहरा है, इससे वो देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की गाड़ी को रोकना चाहते हैं. लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो पाएंगे. विदेश की कुछ एजेंसियां और यहां का विपक्ष नहीं चाहता है कि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने. इसलिए वो इस प्रकार की रुकावट डालने की कोशिश कर रहे हैं.
अश्विनी राणा ने कहा कि कांग्रेस को देश की न्यायपालिका व यहां की एजेंसियों पर विश्वास नहीं है. वो विदेशी कंपनियों की बात पर भरोसा करते हैं, जिसका कोई अस्तित्व नहीं है. हिंडनबर्ग के पास कोई तथ्य नहीं है. वो खुद गलत काम करती है और दूसरे के ऊपर आरोप लगाती है. उसके आरोपों की सरकार को या सेबी को जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)