हिमाचल प्रदेश में आईटीबीपी के जवान ट्रेकर्स के दो शवों को 18000 फीट से मुश्किल धरातलीय हालातों में 27 किलोमीटर तक पैदल स्ट्रेचर पर लेकर सड़क मार्ग तक पहुंचे. बचाव अभियान ने अपना मिशन पूरा किया और कुल 15 लोगों को रेस्क्यू करने में सफलता पाई. दोनों शव काजा लाकर नागरिक प्रशासन को सौंपा दिए गए हैं. चार कुलियों को भी बचाकर काजा लाया गया है. 24 और 25 सितंबर को उच्च ऊंचाई वाले एक ट्रेकिंग अभियान में मृत पश्चिम बंगाल के दो ट्रेकर्स के शवों को आईटीबीपी के जवानों ने काजा प्रशासन को सौंप दिया. आज रेस्क्यू किए गए चार कुलियों को काजा अस्पताल में निगरानी में रखा गया है.
ITBP की 17वीं बटालियन के जवान शवों को ग्लेशियर पॉइंट (लगभग 18000 फीट) से निकटतम रोड हेड तक स्ट्रेचर पर लगभग 27 किलोमीटर दूरी तय करते हुए पैदल लाए. हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में मनाली-खामेंगर दर्रा-मणिरंग के ऊंचे इलाकों की ओर बचाव अभियान के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सेना और नागरिक प्रशासन की एक संयुक्त टीम को 28 सितम्बर को काजा से रवाना किया गया था.
यह ट्रेकिंग अभियान 17 सितंबर को मनाली से शुरू हुआ था. 24 और 25 सितंबर को जब टीम खामेंगर दर्रे से गुजर रही थी, तब दो सदस्य संदीप कुमार ठाकुरता (48) और भास्करदेव मुखोपाध्याय (61) की माउंटेन सिकनेस के कारण मृत्यु हो गई थी. दोनों पश्चिम बंगाल के निवासी थे.
आईटीबीपी को इस प्रकार के ऊंचाई पर खोज और बचाव कार्यों के लिए विशिष्टि प्राप्त है. साल 2019 में आईटीबीपी ने यूनाइटेड किंगडम के चार पर्वतारोहियों को बचाया था. इसके पर्वतारोही एक कठिन मिशन 'ऑपरेशन डेयरडेविल्स' का संचालन करके नंदा देवी पूर्व के पास एक पर्वत (20,000 फीट) से 7 शवों (6 विदेशी नागरिकों सहित) को लेकर नीचे आए थे.