हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में वितीय संकट का मुद्दा खूब गरमाया हुआ है. राज्य की सताधारी सुक्खू सरकार आर्थिक संकट का सामना कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने कहा कि प्रदेश सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है. ऐसे में खुद सीएम सुक्खू, हिमाचल सरकार के मंत्री, CPS और बोर्ड निगमों के चेयरमैन 2 महीने तक सैलरी नहीं लेंगे. सीएम सुक्खू ने विधानसभा में गुरुवार को मॉनसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान इसका ऐलान किया. वितीय संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार को भारी-भरकम कर्ज उठाना पड़ रहा है. इस बीच सरकार के अब तक के अपने कार्यकाल में लिए गए कर्ज की डिटेल सामने आई है. पिछले 20 महीने में सुक्खू सरकार 21 हजार 366 करोड़ का कर्ज ले चुकी है.
चौंकाने वाली बात यह है कि सुक्खू सरकार ने सता संभालने के बाद शुरुआती साढ़े तीन महीने में सबसे ज्यादा कर्ज लिया. पिछले वितीय वर्ष में भी कर्ज की रफ्तार में कमी नहीं आई. चालू वितीय वर्ष में भी कर्ज लेने का सिलसिला जारी है. कर्ज के दलदल में फंसा सबसे पहला पहाड़ी राज्य हिमाचल है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष की समाप्ति तक हिमाचल पर 94,992.2 करोड़ का कर्ज हो जाएगा.
साल दर साल हिमाचल सरकार ने कितना लिया कर्ज?
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि वितीय वर्ष 2022-23 के दौरान 15 दिसंबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक प्रदेश सरकार ने 6897 करोड़ का कर्ज लिया. इसी तरह वितीय वर्ष 2023-24 में 10521 करोड़ का कर्ज उठाया गया. राज्य सरकार ने वितीय वर्ष 2024-25 के दौरान 1 अप्रैल 2024 से 31 जुलाई 2024 तक 3948 करोड़ का कर्ज लिया. इस तरह पिछले करीब 20 महीनों में सरकार ने 21366 करोड़ का कर्ज लिया.
सरकार ने वापिस भी किया 5864 करोड़ का कर्ज
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि वितीय वर्ष 2022-23 में 1097 करोड़ का कर्ज वापिस किया गया. वितीय वर्ष 2023-24 में 3481 करोड़ और वितीय वर्ष 2024-25 में 1286 करोड़ का कर्ज लौटाया गया. इस तरह वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 5864 करोड़ का कर्ज वापिस हुआ.
बढ़ते कर्ज पर सरकार ने दी कौन-कौन सी दलीलें?
हिमाचल प्रदेश की खराब आर्थिक हालत के लिए राज्य सरकार की तरफ से कई कारण दिए जा रहे हैं. सरकार का कहना है कि PDNA के 9042 करोड़ में से कोई भी रकम अब तक केंद्र से नहीं मिली है. साथ ही NPS सहयोग के तकरीबन 9200 करोड़ रुपये भी PFRDA से नहीं मिलने का आरोप लगाया गया है. GST कंपनसेशन भी जून 2022 के बाद नहीं मिल रहा है.
OPS बहाल होने से भी राजस्व में आई कमी
राज्य की कांग्रेस सरकार ने कहा कि इसकी वजह से हर साल 2500-3000 करोड़ की इनकम कम हो गई है. OPS बहाल होने से भी 2000 करोड़ की कमी की बात हिमाचल सरकार कर रही है.
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शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ की सैलरी में सबसे ज्यादा खर्च
राज्य सरकार में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है. इन्हीं दो विभागों में कर्मचारियों को सबसे ज्यादा वेतन देने पर राज्य सरकार को खर्च करना पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों पर साल 2017-18 में 5 हजार 615 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. साल 2019-20 में हिमाचल का कर्ज 6 हजार 299 करोड़ और साल 2020-21 में 6 हजार 476 करोड़ रुपये का खर्च हुआ. साल 2025-26 में उनकी सैलरी पर 9 हजार 361 करोड़ रुपये खर्च आएगा.
CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, 2026-27 में राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को 20,639 करोड़ रुपये तनख्वाह देगी. 2026-27 में दी जाने वाली पेंशन की रकम 16,728 रुपये करोड़ होगी. राज्य में पेंशन पाने वालों की संख्या भी आने वाले सालों में नौकरी कर रहे कर्मचारियों से ज्यादा हो जाने के कयास हैं.
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