सांस लेने में भारत को मदद: कश्मीर के दो छात्रों ने कबाड़ से बनाया लो कॉस्ट वेंटिलेटर

भारत को सांस लेने में मदद करने के लिए, कश्मीर के दो युवा छात्रों ने स्क्रैप सामग्री का उपयोग करके पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया है.

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इस Innovation को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) श्रीनगर द्वारा मान्यता दी गई है.

श्रीनगर:

कश्मीर विश्वविद्यालय के दो छात्रों ने कबाड़ (Scrap) के सामानों का उपयोग करके पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया है. ये प्रोटोटाइप वेंटिलेटर क्लाउड सिस्टम पर आधारित है जो डॉक्टरों को अपने मोबाइल फोन पर रोगियों के मापदंडों की निगरानी करने में मदद कर सकता है.

दोनों छात्रों की उम्र 20 साल के करीब है. इनका कहना है कि उन्होंने कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान वेंटिलेटर की कमी के कारण उत्पन्न संकट देखते हुए एक किफायती और उपयोगकर्ता के अनुकूल वेंटिलेटर बनाने का फैसला किया था.

एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे साजिद नूर के लिए कुछ करने का उनका जुनून था. उस वक्त उनका परिवार लॉकडाउन के कारण आजीविका की चुनौतियों का सामना कर रहा था. साजिद और उसके दोस्त जहांगीर ने कबाड़ के सामानों को एक साथ रखा और पोर्टेबल वेंटिलेटर पर काम करना शुरू कर दिया. महीनों की मेहनत के बाद, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के दोनों छात्रों ने इसे संभव कर दिखाया. साजिद का कहना है कि वह कोविड रोगियों की मदद के लिए सुलभ, सस्ता और उपयोगकर्ता के अनुकूल वेंटिलेटर बनाना चाहते थे.

साजिद नूर ने कहा, “मेरे पिता जो पेशे से एक मजदूर हैं, लॉकडाउन की वजह से काम पर नहीं जा सकते थे- लेकिन मेरे दिमाग में पहली चीज की जो प्राथमिकता थी, वह थी देश के लिए कुछ नया बनाना है क्योंकि उस वक्त देश वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा था. हमने अपने घरों में उपलब्ध स्क्रैप से एक छोटा और कम लागत वाला वेंटिलेटर बनाया.”

पारंपरिक वेंटिलेटर के विपरीत, ये वेंटिलेटर इलेक्ट्रॉनिक रिससिटेटर माइक्रो-कंट्रोलर के साथ जुड़े सेंसर से लैस है जो इसके अलावा एक मरीज की स्थिति की निगरानी भी करेगा. एक ओपन सोर्स एंड्रॉइड एप्लिकेशन की मदद से, यह सिस्टम एक मोबाइल फोन से जुड़ा होता है- जो मापदंडों को प्रदर्शित करने के लिए मॉनिटर के रूप में काम करता है.

जहांगीर लोन ने कहा, "हम रोगियों के रियल टाइम डेटा की निगरानी के लिए इसके साथ इंटरनेट एम्बेड करते हैं. ताकि मरीज की ईसीजी, उसके शरीर का तापमान वास्तविक समय के आधार पर डॉक्टर देख सकें और कहीं से भी उसे सलाह दे सकें."

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इस नवाचार (Innovation) को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) श्रीनगर द्वारा मान्यता दी गई है. साजिद और जहांगीर दोनों को COVID-19 ओपन इनोवेशन चैलेंज के दौरान पहला स्थान मिला है. साजिद का कहना है कि उन्होंने क्लाउड आधारित वेंटिलेटर बनाने के लिए चुनौतियों और आजीविका के संकट को अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया और उनके सच्चे दोस्त और सहयोगी जहांगीर ने इस नवोन्मेष को हकीकत में बदलने में साथ दिया. उनका कहना है कि वेंटिलेटर की कीमत 20,000 रुपये से कम होगी.

लोट्टोलैंड आज का सितारा श्रृंखला के तहत हम आम नागरिकों और उनके असाधारण कार्यों को पेश करते हैं. लोट्टोलैंड साजिद और जहांगीर के लिए 1 लाख रुपये के नकद प्रोत्साहन के साथ समर्थन करेगा.

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