दिल्ली में किसानों का कोई चक्काजाम (Farmers Chakkajam) तो नहीं था, फिर भी 26 जनवरी की घटना से सबक लेते हुए दिल्ली पुलिस ने राजधानी में सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही दिल्ली की सीमाओं पर किलेबंदी कर दी थी. दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर भी शनिवार को ऐसी ही किलेबंदी देखी गई. किसानों के देशव्यापी चक्काजाम को देखते हुए टीकरी बॉर्डर पर करीब 20 स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया था. कंटीले तारों और नुकीली कीलों के बाद यहां जाल भी लगा दिया गया.
किसान नेता (मानसा) रुदलू सिंह ने कहा कि 26 जनवरी की हिंसा को देखते हुए पुलिस इस बार पहले से ज्यादा चौकस रही. पुलिस बैरिकेड के उस पार बैठे किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन करते रहे. सांगवान खाप के प्रधान वीरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों के समर्थन में हरियाणा के चरखी दादरी से 40 गांव के खाप के लोग भी दिखे और पंजाब के मानसा से आये वकीलों का समूह भी मौजूद रहा.
हालांकि टीकरी बॉर्डर से कई किसान दिल्ली से बाहर बाहर चक्काजाम में शामिल होने गए. टीकरी बॉर्डर पर भारी सुरक्षा के बीच आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहा.दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा पुलिस और सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे. पुलिस बल के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स और अर्धसैनिक बलों की कंपनियां भी लगाई गई थीं.
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि चक्काजाम का आह्वान दिल्ली में नहीं थी, लेकिन गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को लेकर हम कोई जोखिम नहीं मोल लेना चाहहते थे. लिहाजा भारी सुरक्षा बंदोबस्त किए गए. दिल्ली की सीमाओं पर भी ऐसी ही सुरक्षा दिखी. बिस्वाल ने कहा कि हमें जहां भी कुछ लोगों के जमा होने या चक्काजाम करने की कोशिशों की सूचना मिली, वहां जनहित को देखते हुए ऐहतियातन उन्हें हिरासत में लिया गया. कुछ लोग शहीदी पार्क पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने हिरासत में लेकर रास्ता खाली करा लिया गया.