महाराष्ट्र में गर्मी का सितम, 26 जिलों में पारा 40 के पार, अलर्ट जारी

IMD मुंबई के प्रमुख और वैज्ञानिक सुनील कांबले ने कहा कि अब सिर्फ़ तापमान नहीं बल्कि उमस और हवा के रुख़ को देखते हुए गर्मी के प्रभाव को लेकर अगले साल हीट इंडेक्स जारी करेंगे.

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महाराष्ट्र में गर्मी ने बढ़ाई परेशानी (प्रतीकात्मक चित्र)
मुंबई:

महाराष्ट्र में इन दिनों गर्मी सितम ढाह रही है. राज्य के 26 जिलें ऐसे हैं जहां तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है, जबकि तीन जिलों में पारा करीब 45 डिग्री तक पहुंच गया है. मुंबई में भी उमस का दौर जारी है.बता दें कि मैदानी इलाके में 40 डिग्री तो तटीय इलाक़े में उमस को देखते हुए लगभग 33 डिग्री पर ही हीटवेव का अलर्ट जारी होता है.मुंबई महाराष्ट्र में चौथा हीट वेव अलर्ट जारी हुआ है. 33 से 35 डिग्री में भी 49-41 डिग्री का एहसास हो रहा है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस साल फरवरी से ही बढ़ा पारा जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है. मुंबई में भी गर्मी लोगों को डरा रही है. आलम कुछ ऐसा है कि मौसम विभाग ने मई के मध्य तक आते-आते ही यहां चौथी बार हीट वेव का अलर्ट जारी कर दिया है. 

अगले साल जारी होगा हीट इंडेक्स

IMD मुंबई के प्रमुख और वैज्ञानिक सुनील कांबले ने कहा कि अब सिर्फ़ तापमान नहीं बल्कि उमस और हवा के रुख़ को देखते हुए गर्मी के प्रभाव को लेकर अगले साल हीट इंडेक्स जारी करेंगे. ताकि आगे से सटीक ढंग से हीटवेव अलर्ट जारी किए जाएं.उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों के लिए एक प्रायोगिक ताप सूचकांक पर एक्सपेरिमेंटल काम चल रहा है, इसे हम अगले साल लॉन्च करेंगे. जिसमें हवा के तापमान और ह्यूमिडिटी को ध्यान में रखते हुए यह निर्धारित किया जाएगा कि वास्तव में कितना गर्म लगता है.

ह्यूमिडिटी ने भी बढ़ाई है परेशानी 

वहीं, स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसीडेंट महेश पलावट का कहना है कि जब मुंबई जैसे तटीय इलाक़े में तापमान 34-35 डिग्री सेल्सियस के बीच हो और ह्यूमिडिटी 70% हो तब 40-41 डिग्री वाली तपिश महसूस होती है. इसलिए मुंबई की गर्मी में लोगों को बहुत बेचैनी और असहजता हो रही है. इस बार मध्य भारत के कई हिस्सों में लू का अलर्ट जारी हुआ है, उत्तर मध्य महाराष्ट्र, विधर्भ, मराठवाड़ा लगातार लू झेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि वेदर पैटर्न में बदलाव के साथ साथ-जलवायु परिवर्तन का असर हो सकता है. हालांकि क्लाइमेट चेंज है या नहीं इसके निष्कर्ष पर आने के लिए क़रीब तीस सालों का डेटा लगता है. लेकिन कह सकते हैं कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव दिखना शुरू हुआ है क्योंकि बीते कुछ सालों में मौसम का मिज़ाज बहुत बदलता दिख रहा है.

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