कोरोना के एक साल में स्वास्थ्य क्षेत्र के समक्ष आई चुनौतियों को देखते हुए सरकार हेल्थ बजट में बड़ी बढ़ोतरी कर सकती है. साथ ही चिकित्सा खर्च, हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस में कर छूट बढ़ा सकती है.फार्मा और हेल्थ केयर सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि शोध एवं विकास और इनोवेशन पर बल दिया जाए तो भारत वर्ल्ड फार्मेसी बनकर उभरेगा.
नैटहेल्थ की अध्यक्ष एवं अपोलो हॉस्पिटल्स की कार्यकारी वाइस-चेयरपर्सन प्रीता रेड्डी ने कहा कि हेल्थ केयर में निवेश बढ़ाने, स्वाथ्यकर्मियों के कौशल विकास और प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम, मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने, प्रभावी पीपीपी मॉडल और देश में ही मेडिकल उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. निजी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि बजट-2021 में टैक्स में छूट के साथ प्रोत्साहन मिलेगा तो दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में भी वे अस्पताल खोल सकेंगे.
फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक और सीईओ आशुतोष रघुवंशी ने कहा कि हेल्थ केयर न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित करने बल्कि रोजगार की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. पीपीपी मॉडल पर भी स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित करने के साथ डॉक्टर-मरीजों का अनुपात बेहतर करने के लिए डिजिटल हेल्थ केयर, स्वास्थ्य सलाह के सिस्टम को भी विकसित करने की जरूरत है. इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि फार्मा उद्योग आरएंडडी, हेल्थ स्टार्टअप और इनोवेशन पर ध्यान दिया जाए तो भारत वर्ल्ड मेडिकल हब के तौर पर बन सकता है.
इंडस हेल्थ प्लस के संयुक्त प्रबंध निदेशक डॉ. अमोल नाइकवाडी का कहना है कि संक्रामक औऱ गैर संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए सरकारी खर्च बढ़ना चाहिए. टेलीमेडिसिन, डिजिटल हेल्थकेयर सिस्टम, ऑनलाइन दवा और इलाज की सुविधाओं के लिए टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया जाए ताकि दूरदराज तक स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से पहुंचाई जा सकें.