एक शख्स जिसने हेलमेट और मास्क पहन रखा था, जिसकी सिर्फ लाल आंखें दिखाई दे रही थीं. मीरा रोड मर्डर केस में आरोपी के घर के बगल में ही रहने वाले पड़ोसी ने मनोज साने के साथ अपनी पहली मुलाकात को लेकर ये बातें कहीं. ये वही मनोज साने है, जिस पर सरस्वती वैद्य की हत्या करने और शव के टुकड़े करके ठिकाने लगाने की कोशिश का आरोप लगा है. फ्लैट से बदबू आने पर पुलिस को सूचना देने वाले सोमेश श्रीवास्तव (पड़ोसी) ने एनडीटीवी को बताया कि कैसे उनका मनोज साने से सामना हुआ और वह पुलिस के हत्थे चढ़ा. उन्होंने बताया कि कैसे पुलिस ने ये सुनिश्चित किया कि सब कुछ सामान्य दिखे और वह भाग ना जाए.
पहली बार दरवाजा खटखटाने पर मनोज साने ने नहीं दी थी प्रतिक्रिया
सोमेश श्रीवास्तव ने NDTV को बताया कि हमने पहली बार सोमवार को बदबू महसूस की. हमने सोचा कि आसपास कहीं चूहा मर गया होगा और इसे नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने बताया कि बुधवार को जब वह दोपहर के भोजन के लिए घर आए तो बदबू असहनीय थी. श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है. अगर किसी के घर में कोई जानवर मर जाता तो वे देखते और तीन दिनों में कम से कम साफ-सफाई तो कर ही देते. बदबू बर्दाश्त नहीं हुई तो उन्होंने फ्लैट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया. शुरुआत में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. जब मैंने 5-10 मिनट बाद दोबारा खटखटाया तो पूरे घर में एयर फ्रेशनर का छिड़काव करते सुना जा सकता था. आवाज काफी तेज थी. समझ आ रहा था कि साने ने कमरे के अंदर और दरवाजे के चारों ओर छिड़काव किया. श्रीवास्तव ने बताया कि वह 10 मिनट तक खड़े रहे, लेकिन मनोज साने ने कोई जवाब नहीं दिया.
मनोज साने से बात की तो वह कांप रहा था
जब उन्होंने साने से बात की तो क्या हुआ, इस पर पड़ोसी ने बताया कि आखिरकार जब मैंने साने से बात की तो मैंने देखा कि वह कांप रहा था और उसकी आंखें लाल थीं. उसने हेलमेट और मास्क पहन रखा था और केवल उसकी लाल आंखें दिखाई दे रही थीं. वह सोसाइटी से चला गया तो मैंने बिल्डिंग सेक्रेटरी को फोन किया.
किचन में रखी बाल्टी में थे शव के टुकड़े
यह पूछे जाने पर कि जब पुलिस से संपर्क किया तो उन्होंने फ्लैट में दाखिल होने के बाद क्या देखा तो श्रीवास्तव ने कहा कि जब दरवाजा खुला तो हम सीधे बेडरूम में गए और बिस्तर पर एक काली प्लास्टिक की शीट देखी. हमें लगा कि उसमें कोई मृत शरीर होगा, लेकिन वहां कुछ भी नहीं था. बिस्तर के बगल में एक पेड़ काटने की मशीन रखी हुई थी. हमें दूसरे बेडरूम और वॉशरूम में भी कुछ नहीं मिला. किचन में हमें बाल्टी में रखे शरीर के अंग मिले, वहां हड्डियां, खून और मसल्स थीं.
रियल एस्टेट एजेंट ने पुलिस को दी मनोज साने की जानकारी
यह पूछे जाने पर कि मनोज साने कैसे पकड़ा गया तो श्रीवास्तव ने कहा कि फ्लैट के रियल एस्टेट एजेंट ने पुलिस को वह सारी जानकारी दी, जो रेंट एग्रीमेंट में थी. श्रीवास्तव ने बताया कि मनोज साने को गए हुए एक घंटा बीत चुका था. पुलिस ने हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सब कुछ सामान्य दिखे, क्योंकि साने ने मुझे बताया था कि वह 10.30 तक वापस आएगा. अगर वह सोसाइटी के बाहर भीड़ देखता तो लौट जाता. इसलिए वहां कोई पुलिस वैन नहीं थी. पुलिस ने अपनी बाइक को दूर खड़ा किया था. पुलिस शाम 7 बजे सोसाइटी में पहुंची थी और साने करीब 8.30 लौटा था. वह लिफ्ट का इस्तेमाल करके ऊपर आया. उसने पुलिसवालों को वर्दी में देखा और डर गया. साने जानता था कि वह भागने के लिए सीढ़ियों का उपयोग नहीं कर सकता था. संयोग से एक कांस्टेबल जो नीचे जा रहा था, साने के उतरने से पहले ही लिफ्ट में घुस गया.
भाग नहीं पाया मनोज साने
पड़ोसी ने बताया कि पुलिस आरोपी का चेहरा नहीं पहचानती थी. जो एजेंट था उसी ने पुलिस को बताया कि वही मनोज साने है. इस तरह वह पुलिस के हत्थे चढ़ा. साने चेहरा छिपाकर वापस नीचे जाने की कोशिश कर रहा था. अगर वह कामयाब हो जाता तो भाग जाता. जब सोमेश श्रीवास्तव से पूछा गया कि क्या उन्होंने पहले साने या सरस्वती वैद्य से बात की थी तो उन्होंने कहा कि वे तुरंत ही घर और सोसाइटी से बाहर निकल जाते थे और फिर वापस आने के तुरंत बाद दरवाजा बंद कर लेते थे.