"चीन जैसे पड़ोसी से प्रतिस्पर्धा करना सीखना होगा": भारत में मैन्युफैक्चरिंग के मुद्दे पर एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, अतीत में विनिर्माण क्षेत्र की उपेक्षा ने समस्याएं पैदा कीं, अब मोदी सरकार बढ़ावा दे रही है.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, ‘‘हमें खुद पर भरोसा करने की जरूरत है.''
नई दिल्ली:

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने रविवार को कहा कि भारत के घरेलू विनिर्माण (Domestic Manufacturing) और समग्र अर्थव्यवस्था (Economy) को बढ़ावा देने से आर्थिक मोर्चे पर चीन (China) के साथ प्रतिस्पर्धा करने और वैश्विक स्तर पर देश के प्रभाव का विस्तार करने के मद्देनजर विदेश नीति और अधिक मजबूत होगी. जयशंकर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक विशेष इंटरव्यू में बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में भारत पिछले 10 वर्षों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि 2014 से पहले इस क्षेत्र की उपेक्षा की गई थी और इसने देश के लिए कई समस्याएं पैदा कीं.

उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान न दिए जाने की वजह से भारत-चीन व्यापार में बढ़ोतरी हुई. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमें खुद पर भरोसा करने की जरूरत है. मुझे स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में प्रतिस्पर्धा है. हमारा चीन जैसा पड़ोसी है, और हमें प्रतिस्पर्धा करना सीखना होगा.''

उनकी यह प्रतिक्रिया तब आई जब उनसे पूछा गया कि चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार क्यों बढ़ रहा है जबकि नई दिल्ली इस बात पर जोर दे रही है कि सीमा पर स्थिति असामान्य होने पर संबंध सामान्य नहीं हो सकते.

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एस जयशंकर ने दावा किया कि ऐसा परिदृश्य इसलिए उत्पन्न हुआ है क्योंकि 2014 से पहले विनिर्माण क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था.

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सीमा पर शांति के बिना संबंध सामान्य संबंध कैसे रहें

भारत और चीन की सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है. जयशंकर ने कहा, ‘‘अगर सीमा पर शांति नहीं है तो आप सामान्य संबंध कैसे रख सकते हैं.''

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भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार में 2015 से 2022 तक 90.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इस दौरान औसत वार्षिक वृद्धि 12.87 प्रतिशत है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2022 में चीन के साथ कुल व्यापार सालाना आधार पर 8.47 प्रतिशत बढ़कर 136.26 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो लगातार दूसरी बार 100 अरब अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा पार कर गया.

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हालांकि, व्यापार घाटा 101.28 अरब अमेरिकी डॉलर पर आ गया क्योंकि चीन से भारत के आयात में बड़ी वृद्धि हुई. पिछले कुछ वर्षों में सरकार कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विनिर्माण का विस्तार करने का प्रयास कर रही है.

अतीत में देश में विनिर्माण क्षेत्र की हुई उपेक्षा

एस जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने वास्तव में अतीत में इस देश में विनिर्माण क्षेत्र की उपेक्षा की है. कई मायनों में हमने अपने निर्माताओं, विशेष रूप से हमारे छोटे और मध्यम उद्यमों को उस तरह का समर्थन नहीं दिया.''

विदेश मंत्री ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने के लिए ‘मेक इन इंडिया' और ‘उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना' (PLI) सहित मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों को गिनाया. उन्होंने दावा किया, ‘‘वास्तव में जब मेक इन इंडिया शुरू किया गया था तो आपके पास ऐसे लोग भी थे जो इस पर हंसते थे. राहुल गांधी जैसे लोग मानते हैं कि हम इस देश में विनिर्माण करने में असमर्थ हैं और कुछ अर्थशास्त्री भी इस तरह का विचार रखते हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारा विनिर्माण क्षेत्र पिछड़ गया है, इसने कई समस्याएं पैदा की हैं जिनका आज हम सामना कर रहे हैं. इसका समाधान तत्काल नहीं हो सकता, लेकिन हम जो कर सकते हैं वह यह कि वास्तव में विनिर्माण को बढ़ावा दें.''

तेजी से हो रहा बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण

जयशंकर ने कहा कि सरकार तेजी से बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण कर रही है और इसे यथासंभव कुशल बना रही है क्योंकि ‘‘कुशल बुनियादी ढांचे के बिना, आप विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी नहीं कर सकते.''

उन्होंने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि 10 साल पहले इस देश में व्यापार को मुश्किल बनाने के लिए पर्यावरण को एक तर्क के रूप में कैसे इस्तेमाल किया गया था.'' एस जयशंकर ने कहा कि वे भारत के भविष्य को लेकर पहले से कहीं अधिक आशावादी हैं.

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