कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि वह सक्षम नेतृत्व प्रदान करने का दमखम रखती है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को मात देने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट करने और अपने लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते त्याग करने को भी तैयार है. साथ ही, कांग्रेस ने दो टूक कहा कि तीसरे मोर्चे की कवायद से भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को ही फायदा होगा.
पार्टी ने विपक्षी दलों को यह संदेश ऐसे वक्त में देने की कोशिश की है, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस से गठबंधन को लेकर जल्द निर्णय करने की अपील कर चुके हैं तथा भारत राष्ट्र समिति समेत कुछ क्षेत्रीय दलों द्वारा कांग्रेस को छोड़कर अन्य दलों को लेकर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद की खबरें आ रही हैं.
कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन के दूसरे दिन पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव में ‘‘जनविरोधी'' भाजपा सरकार को पराजित करने के लिए एक ठोस विकल्प देने के मकसद से समान विचारधारा वाले दलों के साथ तालमेल करना चाहती है और इस लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते कोई भी त्याग करने को तैयार है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा कठिन परिस्थितियों में कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो सक्षम और निर्णायक नेतृत्व प्रदान कर सकती है. उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने देश के लोगों की प्रभावी ढंग से सेवा की.
खरगे ने कहा, ‘‘हम एक बार फिर जनविरोधी और अलोकतांत्रिक भाजपा सरकार को हराने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करके एक व्यवहार्य विकल्प देने के लिए तत्पर हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने देश के लोगों की भलाई और कल्याण के लिए प्रयास करने को तैयार हैं और इसके लिए जो भी बलिदान करना होगा, वह करेंगे.'' उन्होंने कहा कि राज्यों के आगामी चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए लक्ष्य स्पष्ट है.
कांग्रेस ने राजनीतिक मामले के प्रस्ताव में कहा, ‘‘धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी ताकतों की एकता कांग्रेस पार्टी के भविष्य की पहचान होगी. कांग्रेस को समान विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष ताकतों की पहचान करने, उन्हें लामबंद करने, एकसाथ लाने के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए.''
प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘हमें धर्मनिरपेक्ष क्षेत्रीय ताकतों को साथ लेना चाहिए, जो हमारी विचारधारा से सहमत हों. समान विचारधारा के आधार पर राजग का मुकाबला करने के लिए एकजुट विपक्ष की जरूरत है. किसी भी तीसरी ताकत के बनने से भाजपा और राजग को फायदा होगा.''
महाधिवेशन के दूसरे दिन सोनिया गांधी ने पार्टी प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए शनिवार को कहा कि सबसे बड़ी खुशी है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा' के साथ उनकी पारी का अंत हो सका.
मीडिया के एक हिस्से में उनके बयान को ‘राजनीति से संन्यास' के रूप में पेश किया गया, जिसका पार्टी ने खंडन किया है.
कांग्रेस ने महाधिवेशन के दूसरे दिन अपने संविधान में संशोधन करते हुए पार्टी की कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के स्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 35 करने और अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को संगठन के सभी पदों पर 50 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है.
पार्टी के 85वें महाधिवेशन में 85 छोटे-बड़े संशोधन गए हैं. ‘एक परिवार, एक टिकट' के सवाल पर कांग्रेस महासचिव सुरजेवाला ने कहा कि यह नीति का हिस्सा है, लेकिन संविधान का हिस्सा नहीं है.
कांग्रेस ने महाधिवेशन के दूसरे दिन राजनीति के अलावा आर्थिक मामले और अंतरराष्ट्रीय मामले पर भी प्रस्ताव भी पारित किए. आर्थिक मामले के प्रस्ताव में कांग्रेस ने इस मांग पर जोर दिया है कि अडाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच होनी चाहिए.
पार्टी ने राजनीतिक मामले के प्रस्ताव में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे को निर्वाचन आयोग के समक्ष उठाने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ व्यापक सहमति बनाएगी और अगर आयोग ने इस विषय पर जवाब नहीं दिया, तो वह अदालत का रुख करेगी.