बाबा के जिस 'चरण रज' के लिए बिछ गईं हाथरस में लाशें, आखिर वह होता क्या है, यहां जानिए

हाथरस हादसे में मरने वालों की संख्या अब बढ़कर 121 हो गई है. अभी भी कई ऐसे लोग भी हैं जिनका गंभीर हालत में इलाज चल रहा है. यूपी सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है जो इस पूरे हादसे की जांच कर रही है.

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Hathras Stampede : बाबा का चरणरज लेने के लिए हाथरस में मची थी भगदड़
नई दिल्ली:

हाथरस हादसे में मौत का आंकड़ा अब 121 तक पहुंच गया है. पुलिस इस हादसे की जांच जुटी है. अभी तक की जांच में जो बात निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक भोले बाबा (नारायण साकार) का चरण रज लेने के लिए ही भक्त उनकी तरफ भागे थे और इसी दौरान सत्संग स्थल पर भगदड़ मची, जिसमे 121 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. आखिर यह चरण रज होता क्या है, जिसके लिए बाबा के भक्तों में ऐसी मारामारी मच गई, जानिए... 

आखिर चरणरज का मतलब क्या होता है ? 

हाथरस में मची भगदड़ की सबसे अहम वजहों में से एक है चरण रज. कहा जा रहा है कि भोले बाबा के भक्त उनका चरण रज लेना चाह रहे थे, इसी दौरान भक्तों के बीच में भगदड़ मची और 121 लोगों की जान चली गई. आपको बताते हैं कि आखिर चरण रज का मतलब होता क्या है. सरल शब्दों में अगर समझें तो चरण रज का मतलब होता है किसी पूज्य व्यक्ति के चरणों की धूल.

बाबा की मीठी-मीठी बातों से उनके भक्त कुछ इस कदर प्रभावित थे कि एक झलक के लिए वे कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे. चरणों की धूल को प्रसाद के तौर पर लेने के लिए हाथरस में सत्संग खत्म होने के बाद मारामारी मची. जिनको चरणों की धूल नहीं मिली, वे गाड़ी के टायरों की धूल के लिए लपक पड़े. दरअसल बाबा का असर भक्तों पर इस कदर था कि वे इस धूल को प्रसाद के तौर पर घर ले जाना चाहते थे. यह बात हैरान करने वाली है, लेकिन हाथरस में यही हुआ. और इसने चंद मिनटों में सत्संग को श्मशान में बदल दिया.

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मुआवजे का किया गया है ऐलान 

इस हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे हादसे की जांच के आदेश दिए हैं. राज्य सरकार ने इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के लिए मुआवजे का ऐलान भी किया है. इस घटना में जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है उन्हें सरकार की तरफ से दो-दो लाख रुपये, जबकि जो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं उन्हें 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है. इतनी ही राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी. 

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80 हजार की भीड़ जुटने का था अनुमान पर भीड़ कहीं ज्यादा थी

इस हादसे की अभी तक की जांच में पता चला है कि आयोजकों ने प्रशासन को बताया था कि इस सत्संग में 80 हजार के करीब भीड़ जुट सकती है. प्रशासन ने इतने लोगों के हिसाब से ही आयोजन करने की अनुमति दी थी. लेकिन जांच में अब  ये बात निकलकर सामने आ रही है कि सत्संग के दौरान 80 हजार से कहीं ज्यादा लोग मौजूद थे. सत्संग के आयोजन के दौरान किसी तरह की अफरा-तफरी ना मचें इसके लिए पुलिसबल की भी तैनाती की गई थी. जांच में पता चला है कि प्रशासन ने अनुमति देते समय कुछ शर्तें रखीं थी जिसे बाद में नहीं माना गया. और आयोजकों ने उनका उल्लंघन किया. 

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