Hathras Kand : हाथरस कांड में कब क्या क्या हुआ जानें
हाथरस भगदड़ मामले में पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे की जांच के आदेश दिए हैं. राज्य सरकार ने इस हादसे में जिन लोगों की जान गई है उन्हें दो-दो लाख रुपये और जो लोग घायल हुए हैं उन्हें 50-50 रुपये का मुआवजे का ऐलान किया है. इस हादसे को लेकर राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी ने शोक संवेदना व्यक्त की थी. आज हम आपको 10 प्वाइंट्स में इस हादसे से जुड़ी एक-एक बाद सिलसिलेवार तरीके से बताने जा रहे हैं...
- नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के एक दिवसीय प्रवचन के लिए सिकंदराराऊ से एटा रोड पर स्थित फुलरई गांव में करीब डेढ़ सौ बीघा जमीन में आयोजन किया गया था.
- इस सत्संग को नाम मान मंगल मिलन सदभावना समागम था, इसमें करीब एक लाख लोगों के बैठने की व्यवस्था थी. कहा जा रहा है कि सत्संग के दौरान करीब डेढ़ लाख लोग घटनास्थल पर मौजूद थे.
- सुबह 11 बजे बाबा भोले मंच पर आए. भीड़ अधिक होने के कारण सत्संग के शुरू होने के समय से अव्यवस्था दिख रही थी. दोपहर करीब पौने दो बजे आरती के साथ सत्संग समाप्त हुआ.
- सत्संग के समाप्त होने के बाद वहां मौजूद श्रद्धालु सत्संग स्थल से बाहर निकलने लगे. इसी दौरान वहां से बाबा का काफिला भी निकला. इसी दौरान श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए आपस में धक्का मुक्की करने लगे. इसी दौरान वहां भगदड़ मच गई.
- भगदड़ मचते ही लोग हाईवे के निकट नाले और पानी से भरे खेतों और उसमें मौजूद गड्ढ़ों में गिरने लगे. इस दौरान जो लोग नीचे गिरे उन्हें किसी ने उठाने की कोशिश नहीं बल्कि उन्हें रौंदते हुए भीड़ आगे बढ़ने लगी.
- इस भगदड़ के दौरान किसी का मुंह, किसी का पैर, किसी का सिर तो किही का हाथ मिट्टी में दब गया. वहीं कार्यक्रम स्थल के पास ही दूसरी तरफ भी खेल में बने गड्ढों में कई लोग यूं ही दब गए.
- घटना की सूचना मिलते प्रशासन मौके पर पहुंचे और घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया. बताया जा रहा है जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था उनमें से कई लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी.
- मामले की जांच के दौरान पता चला है कि स्थानीय एसडीएम ने सिर्फ 80 हजार लोगों के जुटने की ही अनमुति दी थी. लेकिन सत्संग के आयोजकों ने जितने लोगों के इकट्ठा करने की अनुमति मिली थी उससे कहीं ज्यादा लोगों को घटनास्थल पर इकट्ठा होने दिया.
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को लेकर जांच कमेटी का गठन किया है. सीएम योगी ने 24 घंटे के भीतर-भीतर इस घटना को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
- भोले बाबा ने 17 साल पहले छोड़ी थी पुलिस की नौकरी. बाबा सफेद सूट और सफेद जूते में दिखाई देते हैं. भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है. सभी जाति वर्ग के लोग इनसे जुड़े हुए हैं. भोले बाबा कासगंज जिले के पटियाली तहसील के बहादुरनगर गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता किसान थे. भोले बाबा पुलिस में सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे. भोले बाबा ने यूपी पुलिस में काम करते हुए 12 थानों में अपनी सेवाएं दी हैं.
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