हरियाणा चुनाव में कांग्रेस-आप में सीटों को लेकर ये है अंदर की खबर, जानें आखिर कहां तक पहुंची बात

आप के सूत्रों के मुताबिक- कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की बातचीत अभी ठहराव के मोड में है.आम आदमी पार्टी 10 सीटें मांग रही है. अभी आम आदमी पार्टी वेट एंड वॉच की नीति अपना रही है. वहीं कांग्रेस 5 सीटें देने को राजी दिख रही है.

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हरियाणा चुनाव में कांग्रेस और आप गठबंधन को लेकर आज फैसला हो सकता है. इसे लेकर आज शाम कांग्रेस की बैठक होने जा रही है. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस आप को 5 सीटें देने को राजी है. कांग्रेस के बड़े नेता हुड्डा समेत सभी बड़े नेता इस पर सहमत हैं. कांग्रेस आज 24 सीटों पर घोषणा करेगी. वहीं आप के सूत्रों के मुताबिक- कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की बातचीत अभी ठहराव के मोड में है.आम आदमी पार्टी 10 सीटें मांग रही है. अभी आम आदमी पार्टी वेट एंड वॉच की नीति अपना रही है. एक तरफ अरविंद केजरीवाल के बाहर आने का इंतजार हो रहा है तो दूसरी तरफ आज शाम कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी स्थिति स्पष्ट होने की संभावना....तो उसी पर आप के नेता नज़र रखे हुए हैं. 

कांग्रेस ने तय किए 66 सीटों पर नाम
बता दें कि कांग्रेस ने 66 सीटों पर उम्मीदवार तय कर लिए हैं, लेकिन सावधानी बरतते हुए घोषणा नहीं कर रही. जानकारी मिली है कि 24 सीटों पर कांग्रेस आज घोषणा कर सकती है. कांग्रेस ने 66 सीटों पर नाम तय कर लिए जा रहे हैं और उन्हें निजी तौर पर बताया जा रहा है कि तैयारी करो. घोषणा इसलिए नहीं कर रहे कि कोई भीतरघात या बगावत ना कर दें. वहीं दलबदलुओं को लेकर कांग्रेस में विचार नहीं किया जा रहा, बल्कि हारी हुई सीटों पर कई उम्मीदवारों की चर्चा है. बाहर से आए विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को टिकट पक्का है. सूत्रों से ये भी जानकारी मिली है कि कांग्रेस इस बार 10 विधायकों का टिकट काट रही है. आप के साथ गठबंधन के लिए कांग्रेस शहरों की कुछ सीटें छोड़ने को तैयार है, जहां उन्हें लगता है कि आप का वोटर है.

बड़े हित के लिए पार्टी लेती है गठबंधन का फैसला
वैसे, किसी भी पार्टी के लिए गठबंधन करना अच्छी स्थिति होता है, लेकिन कार्यकर्ता पर इसका असर कुछ अलग ही पड़ता है. लंबे समय में तैयारी कर रहे कार्यकर्ता को अचानक पता चलता है कि पार्टी ने गठबंधन कर लिया तो उसे लगता है कि जहां मेहनत की और पैसा खर्च किया उसका तो कोई मतलब ही नहीं है. ऐसा किसी एक पार्टी के साथ नहीं सबके साथ होता है. पार्टी को गठबंधन के दौरान बड़ा हित देखना होता है. पार्टी को देखना होता है कि वह सामने वाली पार्टी से जीत सकती है या नहीं.  इसी के आधार पर पार्टी अंतिम फैसला लेती है. ये राजनीति में कोई नई चीज नहीं है. जैसे ही हरियाणा में खबर आई कि आप गठबंधन करने का विचार कर रही है तो जमीनीस्तर के कार्यकर्ता जो प्रचार में जुटे थे उनके जोश में कभी दिखाई दी, क्योंकि ये साफ नहीं है कि आप कितनी सीटों पर लड़ रही है. 
 

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