हरियाणा विधानसभा चुनाव : डबवाली बनी हॉट सीट, एक दूसरे के सामने हैं चाचा-भतीजा

सिरसा के डबवाली विधानसभा चौटाला परिवार की परंपरागत सीट रही है. डबवाली विधानसभा से इस बार दिग्विजय चौटाला चुनावी मैदान में हैं. दिग्विजय चौटाला की मां नैना चौटाला दो बार लगातार यहां से चुनाव जीत चुकी हैं.

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नई दिल्ली:

हरियाणा में सियासी तौर पर मजबूत चौटाला परिवार दूसरी राजनीतिक पार्टियों से मुकाबला करने के बजाए परिवार के सदस्य के खिलाफ ही चुनावी मैदान में उतर रहा है. दरअसल, चौधरी देवीलाल की सियासी विरासत के दावेदारी की यहां ऐसी जंग छिड़ गई है कि कहीं दादा-पोते के बीच मुकाबला चल रहा है तो कहीं चाचा-भतीजे आपस में चुनाव लड़ रहे हैं. हरियाणा के सिरसा में चुनावी सियासत इस समय काफी गर्मा गई है. 

डबवाली सीट पर चौटाला VS चौटाला

सिरसा के डबवाली विधानसभा चौटाला परिवार की परंपरागत सीट रही है. डबवाली विधानसभा से इस बार दिग्विजय चौटाला चुनावी मैदान में हैं. दिग्विजय चौटाला की मां नैना चौटाला दो बार लगातार यहां से चुनाव जीत चुकी हैं. इस बार उनके बेटे दिग्विजय चौटाला अपने ही चाचा आदित्य चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि इस सियासी लड़ाई में दिग्विजय चौटाला को आज़ाद पार्टी और दलित नेता चंद्रशेखर आज़ाद का साथ मिला है लेकिन उनके अपने चाचा अभय चौटाला और आदित्य चौटाला उनका विरोध कर रहे हैं. 

चुनावी जंग में आमने सामने हैं भतीजा-चाचा

उधर दिग्विजय चौटाला का चुनाव प्रचार करने चंद्रशेखर आजाद डबवाली पहुंचे हैं. तो वहीं उनके ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रहे चाचा आदित्य चौटाला को अपने भाई और इनेलो सुप्रीमों अभय चौटाला और पंजाब के बादल परिवार का समर्थन मिल रहा है. आदित्य चौटाला दस साल तक बीजेपी में रहे लेकिन जब बीजेपी ने टिकट काटा तो वो बागी हो गए. अब इनेलो के टिकट पर भतीजे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं. अब डबवाली की सियासी लड़ाई तय करेगी कि देवीलाल चौटाला का असली वारिस कौन होगा. 

आदित्य चौटाला ने कही ये बात

आदित्य चौटाला ने इस बारे में बात करते हुए कहा, 'दिग्विजय छोटा है. मेरे साथ खूब रहा है मेरा प्यारा है लेकिन पहले उनके पिता थे फिर उनकी मां विधायक थीं लेकिन विधानसभा में किसी ने पांच साल तक उनका चेहरा तक नहीं देखा. जनता फैसला करेगी कि असली चौटाला और नकली चौटाला कौन है'.

रानियां विधानसभा में भी दादा-पोता आमने सामने

चौटाला परिवार के अंदर की सियासी लड़ाई यहीं नहीं रुकी है. यहां से चालीस किमी दूर रानियां विधानसभा में चौटाला परिवार के दादा-पोते एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी की सरकार में बिजली मंत्री रहने के बाद जब उनका टिकट कटा तो रंजीत चौटाला अपने ही पोते के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. रंजीत चौटाला के सामने INLD सुप्रीमों अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला चुनाव लड़ रहे हैं. रंजीत चौटाला कहते हैं अर्जुन चुनाव भले ही लड़ रहे हों लेकिन उनको जीतना नहीं है.

रंजीत चौटाला ने कही ये बात

रंजीत चौटाला ने कहा, 'अर्जुन मेरा पोता है. अब चुनाव लड़ रहा है लेकिन हमारे परिवार में चुनाव लड़ने से पारिवारिक रिश्ते नहीं ख़राब होते हैं. लड़ रहे हैं लड़ने दो लेकिन जीतना नहीं है.'

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जनता के हाथ में है फैसला

वैसे तो कई सालों से चौटाला परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव की खबरें आती रही हैं. देवीलाल की पार्टी इनेलो के दो फाड़ होने की वजह भी परिवार के सदस्यों के बीच अनबन होती रही है लेकिन क्या इस चुनाव में चौटाला परिवार की सियासी चमक धूमिल पड़ेगी या फिर एक चौटाला, दूसरे पर हावी पड़ेगा? इसका जवाब अब चुनाव के बाद ही मिलेगा. 

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