हरियाणा की वह विधानसभा सीट जहां छह बार से जीत रहे हैं निर्दलीय,BJP नहीं खोल पाई है खाता

कैथल जिले की पुंडरी विधानसभा सीट ऐसी सीट है, जहां बीजेपी आज तक नहीं जीत पाई है. वहीं कांग्रेस ने यहां से चार बार जीत दर्ज की है. आइए देखते हैं कि इस बार के विधानसभा चुनाव में पुंडरी विधानसभा सीट पर कैसा है मुकाबला.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

हरियाणा के कैथल जिले की पुंडरी विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है, जहां पिछले छह चुनाव से निर्दलीय उम्मीदवार बाजी मार रहे हैं.साल 1996 से 2019 तक के विधानसभा चुनाव तक यहां बीजेपी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है. इस बार यहां से 18 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.इनमें निवर्तमान विधायक रणधीर सिंह गोलन भी शामिल हैं. इस बार के चुनाव में गोलन को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ा रहा है. 

पुंडरी का इतिहास

पुंडरी विधानसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी.उसके बाद हुए चुनावों में बीजेपी इस सीट पर कभी भी जीत नहीं पाई है. वहीं कांग्रेस को पुंडरी में चार बार जीत नसीब हुई है. कांग्रेस यहां अंतिम बार 1991 के विधानसभा चुनाव में जीती थी. उस चुनाव में कांग्रेस के ईश्वर ने जीत दर्ज थी.उन्होंने जनता पार्टी के माखन सिंह को हराया था. उस चुनाव में बीजेपी को चौथा स्थान मिला था.

साल 2019 के चुनाव में इस सीट से रणधीर सिंह गोलन की जीत हुई थी. उनका मुकाबला कांग्रेस के सतबीर भाना से हुआ था. गोलन को 41 हजार आठ वोट मिले थे. भाना को 28 हजार 184 वोट मिले थे. इस तरह गोलन ने भाना को 12 हजार 824 वोटों के अंतर से हरा दिया था.वहीं बीजेपी उम्मीदवार वेदपाल एडवोकेट को 20 हजार 990 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. साल 2019 के चु्नाव में इस सीट पर 10 हजार से अधिक वोट पाने वालों में दिनेश कौशिक और नरेंद्र शर्मा का नाम शामिल हैं. कौशिक दो बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं. वो इस बार फिर चुनाव मैदान में हैं.

Advertisement

किस जाति के वोटर अधिक हैं

पुंडरी विधानसभा क्षेत्र को रोड बाहुल्य माना जाता है.यहां पर रोड की आबादी 60 फीसदी से अधिक है. ब्राह्मण वोट और जाट वोट भी अच्छी-खासी संख्या में हैं.इस बार के चुनाव में यहां चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे उम्मीदवारों में छह रोड हैं.पूर्व विधायक रणधीर सिंह गोलन,पूर्व विधायक सुल्तान जड़ौला,सुनीता बतान, नरेश कुमार फरल,प्रमोद चुहड और सतपाल जांबा शामिल हैं.रोड समाज के अधिक उम्मीदवार होने की वजह से रोड वोटों में बंटवारे का खतरा है.

Advertisement

इस बार के चुनाव में यहां बीजेपी ने सतपाल जांबा और कांग्रेस ने सुल्तान जड़ौला को टिकट दिया है.वहीं निवर्तमान विधायक रणधीर सिंह गोलन भी चुनाव मैदान में हैं.उन्हें एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ा रहा है.पिछला चुनाव जीतने के बाद गोलन ने बीजेपी को समर्थन दिया था.लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ही उन्होंने बीजेपी से अपना समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी को समर्थन देने की वजह से उन्हें उस नाराजगी का भी सामना करना पड़ेगा, जो लोगों में बीजेपी को लेकर है.वो किसानों के खिलाफ भी बयान दे चुके हैं.इसे देखते हुए उनकी दावेदारी इस बार कमजोर नजर आ रही है.इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी सतबीर भाना का पलड़ा भारी नजर आ रहा है, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार थे.

Advertisement

ये भी पढ़ें: बिहार के गया में नदी के अंदर बना डाला शराब का गोदाम! राज खुला, तो हैरान रह गई पुलिस

Advertisement
Featured Video Of The Day
Top 3 News | Delhi में गर्मी का Yellow Alert | Kanhaiya की यात्रा में Rahul | Amit Shah in Jammu