राष्ट्रीय राधानी में इन दिनों पानी की किल्लत का मुद्दा गरमाया हुआ है. दिल्ली में लंबे समय से जारी पानी के संकट पर दिल्ली जलबोर्ड ने हरियाणा सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. दिल्ली जलबोर्ड ने पानी की कमी के पीछे हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. जलबोर्ड ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली के हिस्से का पानी रोक रखा है. दिल्ली जलबोर्ड ने पानी की कमी को लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है.
दिल्ली जलबोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने ट्वीट कर कहा, "इस समय यमुना नदी में अब तक सबसे कम जल-स्तर है क्योंकि दिल्ली के हिस्से का पानी हरियाणा ने रोक लिया है. दिल्ली जलबोर्ड ने फैसला किया है कि हम हरियाणा सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे ताकि दिल्ली को उसके कानूनी हक का हिस्सा मिल सके जो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में तय किया था."
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राघव चड्ढा ने रविवार दावा किया कि हरियाणा दिल्ली के पानी के वैध हिस्से को रोक रहा है और पड़ोसी राज्य द्वारा यमुना में छोड़ा जा रहा पानी ‘‘अब तक के सबसे निचले स्तर'' पर है. हरियाणा द्वारा दिल्ली के पानी के हिस्से को कथित तौर पर रोके जाने की वजह से वजीराबाद तालाब के जलस्तर में गिरावट आई है और चंद्रावल, वजीराबाद, ओखला जल शोधन संयंत्रों की परिचालन क्षमता घटी है.
वजीराबाद तालाब में घटे हुए जलस्तर की तस्वीरों को साझा करते हुए चड्ढा ने ट्वीट में कहा, ‘‘हरियाणा द्वारा यमुना में छोड़ा जा रहा पानी अब तक के सबसे निचले स्तर पर है. एक फुट की गिरावट से भी शहर पर काफी प्रभाव पड़ सकता है लेकिन इस समय तालाब का जलस्तर 674 फुट से नीचे गिरकर 667 फुट हो गया. हरियाणा सरकार दिल्ली के वैध हिस्से को रोक रही है.''
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उन्होंने कहा, ‘‘हरियाणा से यमुना में शून्य क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है.'' उन्होंने बताया कि चंद्रावल जल शोधन संयंत्र एक दिन में 90 मिलियन गैलन (एमजीडी) की सामान्य क्षमता की जगह 55 मिलियन गैलन जल ही शोधित कर रहा है. दिल्ली जल बोर्ड, गर्मी के महीने में शहर की 1,150 एमजीडी जल आपूर्ति की मांग की जगह 945 एमजीडी जल की आपूर्ति ही कर पा रहा है. मौजूदा समय में दिल्ली को हरियाणा से 609 एमजीडी की जगह 479 एमजीडी जल ही मिल रहा है. इसके अलावा दिल्ली को 90 एमजीडी पानी भूजल से और 250 एमजीडी ऊपरी गंगा नहर से मिलता है.
(भाषा इनपुट के साथ)