उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के हरिद्वार कुम्भ (Haridwar Kumbh) में साधु-संतों के अखाड़ों का आना शुरू हो गया है. हरिद्वार की सड़कों पर रोजाना अखाड़े हाथी और घोड़ों से लैस झांकियों के साथ कुम्भ इलाके में दाखिल होकर अपने आसन जमा रहे हैं. हज़ारों की संख्या में आ रहे साधु संत अप्रैल के महीने में चार मुख्य स्नान के बाद लौट जाएंगे.
इस दौरान निरंजन अखाड़ा, जूना अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा के साधुओं के साथ किन्नर साधु और नगा साधुओं ने भी हरिद्वार में अपने-अपने अखाड़ों की ध्वज पताका फहराई. अगली शिवरात्रि को गंगा स्नान होगा, जिसे कुम्भ स्नान की रिहर्सल के तौर पर देखा जाएगा. बहुत से अखाड़े उत्तराखण्ड और भारत सरकार की कोविड गाइड लाइन्स से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि जब चुनावी रैलियों में कोई रोक नहीं तो सरकार कुम्भ में कथा भंडारे और लोगों के आने पर क्यों प्रतिबंध लगा रही है?
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दरअसल, कोरोनावायरस के चलते इस बार कुंभ मेले की अवधि घटा दी गई है. इस साल कुंभ मेला 1 से 30 अप्रैल तक ही चलेगा. बता दें कि पहले कुंभ मेले की शुरुआत 27 फरवरी से होनी थी और इसका समापन 27 अप्रैल को होना था लेकिन अब कुंभ मेला 1 से 30 अप्रैल तक ही चलेगा.
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कुंभ स्नान के लिए इस बार पहले पंजीकरण कराना जरूरी होगा. इस बार 12 अप्रैल, 14 अप्रैल और 27 अप्रैल को शाही स्नान के साथ कुंभ सम्पन्न होगा. कोविड गाइडलाइन्स के मुताबिक, सभी आश्रम/धर्मशाला/होटल/अतिथि गृह में ठहरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को हरिद्वार आने की तारीख से 72 घंटे पहले तक की नेगेटिव Covid RT-PCR लेकर आना जरूरी होगा.