ज्ञानवापी पर ASI की रिपोर्ट अदालत में पेश की गई, अगली सुनवाई 21 तारीख को

Gyanvapi Mosque: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण तब शुरू हुआ था, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा और फैसला सुनाया कि यह कदम ‘न्याय के हित में आवश्यक’ है और इस विवाद में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को फायदा होगा.

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Gyanvapi Mosque Case: मुस्लिम पक्ष ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने का विरोध किया...
वाराणसी:

Gyanvapi Mosque Survey Report: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (Gyanvapi Mosque case) की सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला न्यायाधीश वाराणसी की अदालत में प्रस्तुत कर दी है. ये रिपोर्ट एक सील बन्द लिफाफे में एएसआई ने अदालत में पेश की. जज ने इस मामले में सुनवाई के लिए 21 दिसम्बर की तारीख दी है. इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने का विरोध किया. वहीं, सीलबंद रिपोर्ट पर हिन्दू पक्षकार ने आपत्ति जताई. जज से रिपोर्ट पक्षकारों को मेल के माध्यम से देने की अपील की है. 

एएसआई ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद किसी हिंदू मंदिर की संरचना पर किया गया था. अदालत ने पांच अक्टूबर को एएसआई को चार हफ्ते का और समय दिया था और कहा था कि सर्वेक्षण की अवधि इससे ज्यादा नहीं बढ़ाई जाएगी. इसने पहले चार अगस्त और छह सितंबर को समय सीमा को बढ़ाया था.

सर्वेक्षण तब शुरू हुआ था, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा और फैसला सुनाया कि यह कदम ‘न्याय के हित में आवश्यक' है और इस विवाद में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को फायदा होगा. पूर्व की सुनवाई के दौरान, मस्जिद प्रबंधन समिति ने सर्वेक्षण पर आपत्ति जताई थी और आरोप लगाया था कि एएसआई बिना अनुमति के मस्जिद परिसर के तहखाने और अन्य स्थानों पर खुदाई कर रहा है और पश्चिमी दीवार पर मलबा जमा कर रहा है, जिससे संरचना के ढहने का खतरा पैदा हो सकता है.

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मस्जिद समिति ने कहा था कि एएसआई टीम मलबा हटाकर परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए अधिकृत नहीं थी. उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने चार अगस्त को एएसआई सर्वेक्षण पर उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. अपने आदेश में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने, हालांकि, एएसआई से सर्वेक्षण के दौरान कोई ऐसा कार्य नहीं करने को कहा जिससे ढांचे को नुकसान हो. शीर्ष अदालत ने किसी भी तरह की खुदाई पर भी रोक लगा दी, जबकि वाराणसी की अदालत ने कहा था कि यदि आवश्यक हो तो यह की जा सकती है.

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वाराणसी की जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पूरी करने और उसे जमा करने के लिए एक सप्ताह का और समय दिया था. विवाद में हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि मामले की सुनवाई करते हुए जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने एएसआई को सर्वेक्षण पूरा करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया. यह छठी बार है जब अदालत ने एएसआई को अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दिया. इससे पहले अदालत ने एएसआई को छह सितंबर, पांच अक्टूबर, दो नवंबर, 17 नवंबर और 30 नवंबर को समय दिया था.

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