गुरुग्राम-हैदराबाद में ऐप से लोन देने के करोड़ों रुपये के घोटाले का भंडाफोड़, RBI ने चेताया

कर्जदाता कंपनियों द्वारा उत्पीड़न और प्रताड़ना से परेशान होकरकर्ज न चुका पाने वाले 3 लोगों के आत्महत्या कर लेने के बाद तेलंगाना पुलिस अलर्ट हुई. इसके बाद हैदराबाद और गुरुग्राम में छापेमारी की गई.

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पुलिस एजेंसियों ने गुरुग्राम और हैदराबाद में छापेमारी कर 16 लोगों को गिरफ्तार किया. (प्रतीकात्मक)
हैदराबाद :

तेलंगाना पुलिस (Telangana Police) ने करोड़ों रुपये के लोन ऐप के जरिये कर्ज घोटाले का भंडाफोड़ करते हुए 75 बैंक खातों में जमा 423 करोड़ रुपये जब्त कर लिए हैं. ये कर्जदाता ऋण की रकम पर 35 फीसदी तक ब्याज वसूल रहे थे. यह कर्ज 30 मोबाइल ऐप (Loan app Scam) के जरिये कर्ज बांटा जा रहा था और इन ऐप संचालकों ने रिजर्व बैंक (RBI) से कोई मंजूरी नहीं ली थी. आरबीआई ने भी बिना मंजूरी लोन बांटने वाली ऐसी कंपनियों से लोगों को सावधान रहने को कहा है. इस फर्जीवाड़े के लिए गुरुग्राम (Gurugram) और हैदराबाद में बनाए गए कॉल सेंटर बनाए गए थे.

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कर्ज न चुका पाने पर उधार देने वालों के उत्पीड़न और यातनाओं से परेशान होकर 3 लोगों द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद तेलंगाना पुलिस को अलर्ट किया गया था. इसके बाद हैदराबाद (Hyderabad) और गुरुग्राम (Gurugram) में छापेमारी की गई. पुलिस एजेंसियों ने हरियाणा के गुरुग्राम और हैदराबाद में कई स्थानों पर छापेमारी कर 16 लोगों को गिरफ्तार किया है. घोटाले (Multi-crore money lending scam) के तहत खुलासा हुआ कि ऐप के जरिये कर्ज देने के लिए 3 कॉल सेंटर में करीब एक हजार लोगों को नौकरी पर रखा गया था. इसमें ज्यादातर कॉलेज ग्रेजुएट (College Graduate) थे

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साइबराबाद पुलिस (Cyberabad Police)  ने स्वतंत्र जांच शुरू कर सात लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें अमेरिका से इंजीनियर डिग्री लेकर लौटा एक युवक शामिल है. 32 साल का शरत चंद्र दो कंपनियों ओनियन क्रेडिट प्रा.लि. और क्रेड फॉख्स टेक्नोलॉजीस के जरिये कर्ज बांटने का यह कारोबार चलाता था. ऐप के जरिये कर्ज देने का यह कारोबार 2018-19 से शुरू हुआ. शरत चंद्र लोन देने वाले ऐसे ऐप बनाकर बेंगलुरु में कई कंपनियों को बेचता भी थी.

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यह कारोबार बेंगलुरु में इस साल जनवरी और फरवरी में रजिस्टर हुईं कंपनियों के जरिये चलाया जा रहा था. इसके लिए गुरुग्राम और हैदराबाद में कॉल सेंटर खोला गया था. अधिकारियों का कहना है कि कॉल सेंटर (Call Centre)में युवाओं को प्रशिक्षित किया गया था कि कैसे ग्राहकों को उधार लेने के लिए लुभाना है और कैसे कर्ज की रकम न चुकाने पर उन्हें प्रताड़ित, बदनाम या ब्लैकमेल करना है, ताकि भारी ब्याज के साथ रकम वसूली जा सके. कॉल सेंटर में कर्मचारियों को हर माह 10 से 15हजार रुपये दिए जाते थे. इनमें ज्यादातर कॉलेज छात्र थे. जालसाजों ने युवाओं और ऑनलाइन ऐप के जरिये लोगों को कर्ज के जाल में फंसाने का यह धंधा ऐसे वक्त शुरू किया, जब कोरोना के कारण बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैली है. लोग नए धंधे के लिए कर्ज लेने को बेताब हैं, वहीं युवा कोई भी नौकरी पाने की जद्दोजहद में जुटे हैं.

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(एएनआई के इनपुट के साथ) 

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