भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को गांधीनगर नगर निगम (जीएमसी) में अपनी सत्ता बरकरार रखी और दो अन्य नगर निकायों में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने भगवा पार्टी से देवभूमि-द्वारका जिले में भानवड नगरपालिका को छीन लिया. जीएमसी में भाजपा ने सुबह नौ बजे मतगणना शुरू होने के बाद से ही बढ़त बना ली थी और अंत में प्रतिद्धंद्वी कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी (आप) को बड़े अंतर से शिकस्त दी. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हाल में राज्य में अचानक मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट को बदले जाने के बाद जीएमसी चुनाव को भाजपा की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था. पार्टी ने इस साल फरवरी में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में भी जीत हासिल की थी.
राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) की ओर जारी अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, जीएमसी की कुल 44 सीटों में से भाजपा ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस को दो और आप को एक सीट मिली है. तीन अन्य नगर पालिकाओं- देवभूमि-द्वारका जिले के ओखा और भानवड और बनासकांठा जिले की थारा नगरपालिका के लिए भी मतगणना हुई. मतगणना के बाद एसईसी द्वारा जारी अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा ने थारा की 24 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि चार सीटें कांग्रेस को मिली हैं. वहीं भाजपा ने ओखा नगरपालिका की 36 में से 34 सीटें जीत कर अपनी सत्ता बरकरार रखी जबकि शेष दो सीटें कांग्रेस के खाते में गईं. हालांकि भानवड में भाजपा को झटका लगा है जहां कांग्रेस ने 24 में से 16 सीटें जीतीं है और भगवा दल को सिर्फ आठ सीटें मिली हैं. भानवड पर भाजपा का 1995 से कब्जा था.
जीएमसी और तीन अन्य नगरपालिकाओं के लिए मतदान रविवार को हुआ था. इसके अलावा, विभिन्न अन्य स्थानीय निकायों की 104 रिक्त सीटों पर प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए उपचुनाव भी उसी दिन हुए थे. गांधीनगर में कुल 2.8 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से 56.24 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. ओखा और भानवड में क्रमश: 55.07 और 62.27 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि थारा में 73.55 फीसदी वोट डाले गए. गांधीनगर में, पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों भाजपा और कांग्रेस के अलावा आप ने भी काफी जोर लगाया था. जीएमसी चुनाव में कुल 161 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. भाजपा और कांग्रेस ने सभी 44 सीटों पर और आप ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
2016 के जीएमसी चुनावों में, उस वक्त की 32 सीटों में से कांग्रेस और भाजपा दोनों ने 16-16 सीटें जीती थीं. तब दोनों पार्टियों के पास ड्रॉ के माध्यम से बोर्ड बनाने की समान संभावना थी लेकिन आखिरी समय में, कांग्रेस पार्षद प्रवीण पटेल ने पाला बदल लिया और भाजपा को नगर निकाय में सत्ता में आने में मदद की. यह चुनाव इस साल अप्रैल में होने थे, लेकिन कोविड-19 के अधिक मामलों को देखते हुए इसे स्थगित कर दिया गया था.