गुजरात एटीएस की गिरफ्त में आए आतंकियों का राजस्‍थान कनेक्‍शन! पहली बार आया हनुमानगढ़ का नाम 

गुजरात एटीएस की कार्रवाई ने एजेंसियों के सामने नया सवाल खड़ा किया है क्या अब राजस्थान की सीमा नशे की तरह हथियारों की तस्करी का भी नया रूट बनती जा रही है.

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  • गुजरात एटीएस की गिरफ्त में आए तीन ISIS आतंकवादियों से बरामद हथियार राजस्थान के हनुमानगढ़ से लाए गए हैं.
  • राजस्थान एटीएस की विशेष टीम गुजरात में आतंकियों से पूछताछ कर हथियार सप्लाई नेटवर्क की जांच करेगी.
  • पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए राजस्थान सीमा पर नशा, हथियार, नकली नोट और विस्फोटक सामग्री की तस्करी हो रही है.
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नई दिल्‍ली:

गुजरात एटीएस की गिरफ्त में आए ISIS के तीन आतंकवादियों की शुरुआती पूछताछ में राजस्थान का हनुमानगढ़ कनेक्शन सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मचा हुआ है. गुजरात एटीएस के डीआईजी ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि पकड़े गए आरोपियों से बरामद हथियार हनुमानगढ़ से लाए गए गए हैं. राजस्थान से आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद राजस्थान एटीएस की एक विशेष टीम गुजरात रवाना हो गई है. टीम वहां पकड़े गए आतंकियों से पूछताछ करेगी और यह पता लगाएगी कि हथियारों की सप्लाई चेन में राजस्थान के कौन-कौन से स्लीपर सेल या स्थानीय नेटवर्क सक्रिय हैं. 

एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती 

दरअसल गुजरात एटीएस की कार्रवाई ने एजेंसियों के सामने नया सवाल खड़ा किया है क्या अब राजस्थान की सीमा नशे की तरह हथियारों की तस्करी का भी नया रूट बनती जा रही है. पिछले कुछ वर्षों में श्रीगंगानगर और बीकानेर जिलों में सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियारों और नशीले पदार्थों की बरामदगी बढ़ी है. बीएसएफ और राजस्थान पुलिस दोनों ने ऐसी कई खेपें पकड़ी हैं जिनमें हेरोइन के साथ पिस्तौल, कारतूस और नकली नोट भी मिले हैं. 

हथियार सप्लाई का मेन रूट पाकिस्तान 

पुलिस और बीएसएफ के रिकॉर्ड के अनुसार, 2021 के बाद अब तक सीमा पार से ड्रोन के जरिए तस्करी के 60 मामले सामने आए हैं. इनमें 56 श्रीगंगानगर बॉर्डर और 4 बीकानेर बॉर्डर से जुड़े हैं. खुफिया एजेंसियों ने बताया है कि ड्रोन के जरिए आने वाली खेपें अब कई स्तर की हो चुकी हैं. पहली ड्रोन ड्रॉपिंग वो है जिसमें सिर्फ नशे की खेप होती है. दूसरी जिसमें नशा और हथियार दोनों होते हैं. तीसरी खेप में नकली नोट भी बरामद किए गए हैं.

इसके अलावा कुछ मामलों में नशा, हथियार, नकली नोट और विस्फोटक सामग्री भी जब्त की गई है. खुफिया इनपुट के मुताबिक, ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से राजस्थान सीमा पर खेप गिराई जाती हैं जिन्हें जमीन पर मौजूद स्थानीय नेटवर्क उठा लेता है. इन नेटवर्क में कुछ किसान और मजदूर भी शामिल हैं, जिन्हें पैसों का लालच देकर इस्तेमाल किया जाता है. ड्रोन गिरने के बाद खेप उठाकर तय पॉइंट तक पहुंचाने का काम इन्हीं के ज़रिए होता है. 

भारतमाला, तस्करी का नया रास्ता 

एजेंसियों की जांच में यह भी सामने आया है कि हनुमानगढ़ से गुजरने वाला भारतमाला एक्‍सप्रेसवे अब नशा और हथियार तस्करी का सेफ कॉरिडोर बन चुकी है. यह रोड पंजाब के अमृतसर से शुरू होकर राजस्थान होते हुए गुजरात तक जाती है. बीच के कई हिस्सों में स्थायी चौकियों और सघन निगरानी का अभाव है जिसका फायदा तस्कर उठा रहे हैं. इसी मार्ग से अफीम, पोस्त, शराब और हेरोइन की बड़ी खेपें पहले भी पकड़ी जा चुकी हैं. 

2019 से सक्रिय नेटवर्क 

असल में पहले पंजाब सीमा पर ड्रोन से खेपें गिराने का नेटवर्क सक्रिय था. 2022 तक बीएसएफ ने पंजाब में 53 ड्रोन जब्त किए थे. लेकिन जब वहां इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सख्त हुई, तो तस्करों ने राजस्थान बॉर्डर को नया रूट बना लिया. श्रीगंगानगर की लंबी और बिना आबादी वाली सीमा, खेतों और फार्महाउसों का फैलाव तस्करों के लिए आसान प्वाइंट बन गया. राजस्थान एटीएस, बीएसएफ और स्थानीय पुलिस ने अब सीमा क्षेत्र में संयुक्त सर्च ऑपरेशन शुरू किया. खेतों, फार्महाउसों और बॉर्डर के पास बने मकानों की तलाशी ली जा रही है. 

ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम और सैटेलाइट सर्विलांस बढ़ाने की प्रक्रिया चल रही है. साथ ही इंटरनेट डेटा और मोबाइल कॉल ट्रैकिंग के जरिए नेटवर्क के भीतर के कनेक्शन तलाशे जा रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों के लिए फिलहाल सबसे बड़ा खतरा यह है कि ड्रग्स के साथ-साथ अब हथियारों की सप्लाई भी उसी रास्ते से होने लगी है. यानी राजस्थान की 1,048 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अब चौबीसों घंटे सघन निगरानी की जरूरत है. 
 

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