- GST दरों में कटौती के बाद रोजमर्रा की जरूरतों के सामान की कीमतें कम हो गई है, जिससे लोगों के पैसे बचेंगे.
- मिडिल क्लास फैमिली ने इस फैसले से काफी राहत महसूस की है. फैमिली के हरेक सदस्य के पास अब ज्यादा बचत होगी.
- अनुमानित तौर पर देश में मिडिल क्लास आबादी करीब 41% है, जो करीब 58-60 करोड़ लोगों के बराबर है.
GST 2.0: जीएसटी रिफॉर्म्स के बाद देश की मिडिल क्लास फैमिली आज बहुत ज्यादा खुश है. कम की गईं नई GST दरें 22 सितंबर, सोमवार सुबह से ही लागू हो गई हैं. शर्मा जी हों, गुप्ता जी हों या पड़ोस के पांडे जी, जो भी सुबह-सुबह पैसे और झोला लेकर ग्रॉसरी का सामान लेने निकले थे, किराना स्टोर से लौटने के बाद उनकी जेब में अब ज्यादा पैसे बचे हैं. औसतन 3,000 रुपये का सामान 2,400 से 2,600 रुपये तक में ही मिल गया है. कारण कि रोजमर्रा की जरूरत के ज्यादातर सामान अब सस्ते हो गए हैं. जरूरत के ज्यादातर सामानों पर या तो जीरो जीएसटी है, या फिर 5 फीसदी. ऐसे में पैसे तो बचेंगे ही! फैमिली में आज सभी खुश हैं.
नया घर बनाना, नई गाड़ी लेना भी अब सस्ता हो गया है. बच्चों की पढ़ाई से लेकर बुजुर्गों की दवाई तक का खर्च अब कम हो गया है. हर घर पर आज खुशियों की छप्परफाड़ बारिश हुई है. आज से घर का बजट नहीं बिगड़ेगा.
कुल मिलाकर मामला जो है, वो चकाचक है. आइए जानते हैं कि मिडिल क्लास फैमिली में किसके कितने पैसे बचेंगे.
मिडिल क्लास फैमिली का मुखिया खुश
लंबे समय से किराये के मकान में रह रही ऐसी लाखों मिडिल क्लास फैमिली होगी, जो कई वर्षों से अपने घर का सपना देख रहे थे. कभी फ्लैट लेने तो कभी अपना प्लॉट लेकर मकान बनवाने की उधेड़बुन में थे. अब चूंकि आज से सीमेंट पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दी गई है, तो दोनों ही स्थितियों में मकान सस्ता पड़ने वाला है. नया घर बन जाएगा तो उसमें एसी, कूलर, टीवी, डिश-वॉशर वगैरह भी काफी सस्ता पड़ेगा. कारण कि इन पर भी आज से 28% की बजाय 18% जीएसटी ही लगेगा. यानी उनका तो मोटा पैसा बचेगा. पैसे बचेंगे तो वो दूसरी जगह निवेश भी कर पाएंगे.
घर की 'होम मिनिस्टर' की होगी महाबचत
ज्यादातर मिडिल क्लास फैमिली में घर चलाना, महिलाओं के जिम्मे होता है. पुरुष सैलरी या आमदनी का एक हिस्सा उनके हाथ में रख देते हैं और उन्हें ही घर का खर्च मैनेज करना होता है. अब चूंकि रोजमर्रा की जरूरत के सामान काफी हद तक सस्ते हो गए हैं, तो उनके पास हर महीने महाबचत के तौर पर मोटा अमाउंट होगा.
आज से हेयर ऑयल, शैंपू से लेकर टूथपेस्थ, साबुन, टूथ ब्रश, शेविंग क्रीम वगैरह 18% से 5% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं. वहीं, मक्खन, घी, चीज, पैकेट वाली नमकीन, भुजिया, मिक्चर समेत किचन के ज्यादातर सामान सस्ते हो गए हैं.
बच्चों की पॉकेटमनी भी बचेगी
बच्चों की स्कूली पढ़ाई का खर्च आज से कम हो गया है. कॉपी-नोटबुक्स से लेकर पेंसिल, शार्पनर, इरेजर, मैप्स, चार्ट्स और ग्लोब्स जैसे एजुकेशन आइटम्स पर लगने वाला 12% टैक्स पूरी तरह खत्म कर दिया है. ये सारे सामान अब कम दाम में मिलेंगे. यानी उनके हिस्से का भी खर्च कम होगा तो उनकी पॉकेटमनी में ज्यादा पैसे बच सकते हैं, जिन्हें जमा कर वो आगे की बड़ी जरूरतें पूरी कर सकते हैं.
बुजुर्ग की पेंशन अब कम खर्च होगी
एक बड़ी राहत घर के बुजुर्गों को दवाओं के खर्च और इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिली है. जीवन रक्षक दवाएं भी टैक्स फ्री कर दी गई हैं. मेडिकल इक्विपमेंट पर टैक्स कम कर दिया गया है. थर्मामीटर, मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, ग्लूकोमीटर और टेस्ट स्ट्रिप्स पर 22 सितंबर से 12% की बजाय 5% जीएसटी ही एप्लिकेबल है. यानी घर के बुजुर्ग की जो पेंशन राशि आती थी, उसमें से खर्च के लिए कम पैसे ही निकालने होंगे और बचत का हिस्सा बढ़ेगा.
कुल मिलाकर देखा जाए तो संशोधित कर कम की गईं जीएसटी दरें लागू होने से मिडिल क्लास फैमिली बहुत ज्यादा खुश है.
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