तमिलनाडु के थूथुकुड़ी में भारी बारिश के बाद बाढ़ से आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. रविवार और सोमवार के बीच थूथुकुड़ी में 950 मिलीमीटर (करीब 1 मीटर) की बारिश हुई. इससे कई गांव बाढ़ (Thoothukudi Flood)के पानी में बह गए. बाढ़ में अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है. हजारों लोग बाढ़ के पानी के बीच अपने घरों की छतों पर फंसे हुए हैं. ये लोग जिंदा रहने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) के हेलिकॉप्टरों से गिराए जा रहे खाने के पैकेट और पानी की बोतलों पर निर्भर हैं. इन लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) जारी है.
NDTV की टीम ने इस बीच श्रीवैकुंटम तालुक में बाढ़ से तबाह हुए गांव श्री परंगुसानल्लूर का दौरा किया. बुधवार देर रात तक यह गांव कटा हुआ था. इस गांव के आसपास बाढ़ का पानी कम हो गया, लेकिन श्री परंगुसानल्लूर की सड़क टूट गई है. इसका मतलब है कि कोई भी कार या मोटर वाहन फंसे हुए लोगों तक नहीं पहुंच सकता. गुरुवार को गाड़ियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए क्षेत्र को समतल करने का काम भी शुरू हुआ.
NDTV की टीम पैदल ही गांव की ओर चल पड़ी. गांव के रास्ते में हमने चारों ओर बिखरी टिन-छत वाले घरों के मलबे देखे. तबाह हुई झोपड़ियां भी देखीं. जब हम गांव पहुंचे तो तबाही का स्तर भूकंप के बाद जैसा था.
यहां एक अय्यम्मल नाम की स्थानीय निवासी मिलीं. वो असहाय होकर अपने घर के बचे हुए हिस्से को देख रही थीं. उनका घर थमिराबरानी नदी में आए उफान में बह गया. उन्होंने कहा, "मेरे कपड़े और बर्तन सब बह गए. पंखे, ग्राइंडर, कुकर जैसे मेरे सभी घरेलू उपकरण चले गए हैं. मेरे पास कोई घर नहीं है."
सब बहा ले गया समुद्र
कुछ दूर जाते ही हमें सरोजिनी मिलीं. उनके परिवार ने अपना पुश्तैनी घर खो दिया था. लगभग 100 सेमी बारिश के बाद गांव का सबसे ऊंचा घर मलबे में बदल गया था. उन्होंने NDTV से कहा, "हमने सब कुछ खो दिया है... सब कुछ समुद्र में बह गया." घर गिरने से कुछ देर पहले ही सरोजिनी और उनका परिवार वहां से बच निकलने में कामयाब रहे.
नुकसान की भरपाई करना बड़ी चुनौती
इसके बाद NDTV ने 72 वर्षीय किसान बालाकृष्णन से मुलाकात की. बालाकृष्णन अपने घर के मलबे के आसपास घूम रहे थे और यह देखने की कोशिश कर रहे थे कि क्या वह कुछ बचा सकते हैं. उनका पुराना मोबाइल फोन ही अब बाहरी दुनिया से उनके कनेक्शन का एकमात्र जरिया है. उन्होंने बताया, "मुझे लगता है कि इस दुनिया में मेरा समय खत्म हो गया है. मेरे पास कोई रोजगार नहीं है... मैं इन नुकसान की भरपाई कैसे करूं?"
जरूरत का सामान भी पानी में बह गया
जैसे ही हम गांव में आगे बढ़े, हमारी मुलाकात कन्नियाम्मल से हुई. कुछ साल पहले कन्नियाम्मल के पति की मौत हो गई. जिसके बाद से वो अकेले गुजारा कर रही हैं. बाढ़ ने उनके एक कमरे के घर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था. बाढ़ से हुई कीचड़ की मोटी परत के नीचे पूरा घर दबा हुआ था. कन्नियाम्मल बताते हैं, "मेरे पास इसके अलावा कुछ और नहीं है. मेरा घर कभी भी गिर सकता है. मुझे गैस स्टोव की ज़रूरत है... सब कुछ ख़त्म हो गया है."
थमिराबरानी नदी में उफान थमा
बाढ़ के एक सप्ताह बाद थमिराबरानी नदी में उफान थम गया है. लेकिन बाढ़ प्रभावित लोगों को इससे हुए नुकसान से उबरने में पूरी जिंदगी लग सकती है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन चाहते हैं कि केंद्र बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे. ताकि मुआवजे और पुनर्निर्माण के लिए फंड सुरक्षित करने में मदद मिल सके.
सरकार ने किया आर्थिक मदद का ऐलान
सीएम एमके स्टालिन की सरकार ने थूथुकुड़ी और अन्य गंभीर रूप से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राशन कार्ड धारकों के लिए 6,000 रुपये के मदद की घोषणा की है. जबकि तेनकासी और कन्नियाकुमारी जिले के लोगों को 1,000 रुपये मिलेंगे.
निर्मला सीतारमण ने लगाए आरोप
इससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मामले पर आरोप-प्रत्यारोप पर पलटवार करते हुए कहा कि चेन्नई में विभाग के पास उन्नत उपकरण थे. 12 और 13 दिसंबर की शुरुआत में अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई थी. फिर भी तमिलनाडु सरकार ने उचित कदम क्यों नहीं उठाया?
डीएमके प्रवक्ता ने दिया जवाब
इसके जवाब में डीएमके प्रवक्ता ए सरवनन ने कहा, "अगर निर्मला सीतारमण ने बीजेपी राजनेता के रूप में बात की, तो उन्होंने 'व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी' से ये जानकारी ली है. अगर उन्होंने एक मंत्री के रूप में ये बयान दिया, तो जाहिर तौर पर उनकी तथ्यों पर कोई पकड़ नहीं है."