मेरठ की सबसे पुरानी जामा मस्जिद के आसपास का माहौल आज भी सौहार्द और भाईचारे की मिसाल पेश करता है. पवित्र रमजान के आखिरी अलविदा की नमाज के लिए मस्जिद में नमाजियों की भीड़ उमड़ी, लेकिन टीवी पर चलने वाली नेताओं और अधिकारियों की बयानबाजी से अलग यहां की तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां करती है. तंग गलियों और हिंदू परिवारों से घिरे इस इलाके में नमाज पढ़ने आए इकराम ने अपनी स्कूटर अपने हिंदू पड़ोसी मन्नू के घर पर खड़ी की. यह छोटा-सा कदम यहां के लोगों के बीच आपसी विश्वास और प्रेम को दर्शाता है.
इकराम ने कहा कि पुलिस ने सड़क पर नमाज पढ़ने से मना किया है और हम इसका सम्मान करते हैं. कानून-व्यवस्था बनाए रखना हमारी भी जिम्मेदारी है. मैं नमाज पढ़ने आया हूं, लेकिन मेरा स्कूटर मन्नू के घर पर खड़ा है, जो मेरे हिंदू भाई हैं. उन्होंने आगे कहा कि मीडिया में जिस तरह की बातें दिखाई जा रही हैं, वैसा हमारे बीच कुछ नहीं है. हम सब यहां मिलजुल कर रहते हैं. इकराम की बातों से साफ है कि यहां के लोग बाहरी बयानबाजी को अपने रिश्तों पर हावी नहीं होने देना चाहते.
मस्जिद से हमें कोई दिक्कत नहीं...
कुछ देर बाद एनडीटीवी की टीम मन्नू और मनोज रस्तोगी के घर पहुंची. दोनों भाइयों ने एक सुर में कहा कि ये सब नेताओं की बयानबाजी है. हम यहां प्रेम और भाईचारे से रहते हैं. मेरा घर मस्जिद के ठीक सामने है, लेकिन मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मनोज ने हाल ही में बीती होली का जिक्र करते हुए कहा कि हमने जामा मस्जिद के सबमर्सिबल पंप से पानी लेकर शाम तक होली खेली. मस्जिद का पानी हमारे त्योहार का हिस्सा बना. बस कुछ लोग ऐसी बयानबाजी करते हैं, जो दोनों तरफ हर वर्ग में मौजूद हैं. यहां के लोगों का मानना है कि आपसी सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करने वाले चंद लोग ही हैं, जिनका असर इनके रिश्तों पर नहीं पड़ता.
मस्जिद के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम
हालांकि, मस्जिद के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं. पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की गश्त जारी है. मेरठ के एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि सड़क पर नमाज पढ़ने पर कानूनी कार्रवाई होगी. अगर मामला दर्ज होता है तो पासपोर्ट के लिए क्लीयरेंस नहीं मिलेगा. इस बयान पर विवाद होने के बाद एसपी सिटी ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से लिया गया. हमारा मकसद कानून-व्यवस्था बनाए रखना है. सड़क पर नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है, लेकिन इसके लिए बफर जोन बनाया गया है.
पुलिस ने मस्जिद में नमाज पढ़ने की अपील की है और ईद की नमाज के लिए अलग-अलग समय और जगह चिह्नित की गई है. एसपी सिटी ने बताया कि कई बार आखिरी वक्त पर लोग नमाज के लिए आते हैं और सड़क पर बैठ जाते हैं. इसे रोकने के लिए हमने व्यवस्था की है. कोर्ट की गाइडलाइन भी साफ है कि सड़क को बाधित कर धार्मिक कार्यक्रम नहीं हो सकते. कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि जब मीटिंग में सब तय हो चुका था, तो ऐसी बयानबाजी की जरूरत नहीं थी.
फिलहाल, मेरठ में शांति और सौहार्द का माहौल है. जामा मस्जिद के आसपास हिंदू-मुस्लिम परिवारों का आपसी सहयोग इस बात का सबूत है कि बयानबाजी चाहे जितनी हो, यहां के लोग अपने रिश्तों को मजबूत बनाए रखने में यकीन रखते हैं.