ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टार्टअप ग्रोफर्स के संस्थापक ने कंपनी के 10 मिनट में ग्रॉसरी की डिलीवरी के वादे पर मचे बवाल पर चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि घनी जगहों में कंपनी के स्टोर और कंपनी की "अच्छी" इन-स्टोर योजना के साथ तकनीक की बदौलत अधिकांश ऑर्डर कम से कम 2.5 मिनट में पैक हो जाते हैं. जिसके आधार पर कंपनी ने 10 मिनट में डिलिवरी का वादा किया था. ट्विटर पर एक बयान में अलबिंदर ढींडसा ने यह भी कहा कि घोषणा को लेकर उनकी कंपनी की आलोचना को देखकर "मेरा दिल टूट गया".
उन्होंने ट्विटर पर एक बयान में कहा, "... भारत में हो रही नई पहल (और स्टार्टअप की सफलता) का जश्न मनाने के बजाय, हममें से कुछ लोग इसकी निंदा करना पसंद करते हैं."
उन्होंने कहा, "हमें हिम्मत दिखाने वाले और अधिक लोगों की जरूरत है, और उनकी निंदा करने वालों की कम जरूरत है."
कंपनी को ऑनलाइन आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि उसके डिलीवरी पार्टनर्स को 10 मिनट के भीतर ऑर्डर नहीं देने के लिए जोखिम में डाला जा रहा है.
यह सब 13 मिनट में डिलीवरी प्राप्त करने पर एक उपयोगकर्ता के ट्वीट के साथ शुरू हुआ. यूज़र ने अपना ट्वीट अब हटा दिया है. इसके बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसका विरोध किया.
आलोचनाओं की बौछार के बीच ढींडसा को सोशल मीडिया पर भी समर्थन मिला - जोमैटो के एक वरिष्ठ अधिकारी उनमें से एक हैं. जोमैटो के प्रोडक्ट एंड पेमेंट्स वीपी प्रद्योत घाटे ने ट्वीट कर ग्रोफर के फाउंडर का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि हमें जीरो सम गेम मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है.
उपभोक्ता के रूप में अमोघ वेंकटनारायण ने भी ग्रोफर्स के समर्थन में ट्वीट किया.