अगले संसद सत्र में आएगा जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव! जानें क्‍या कहते हैं नियम

इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा उस समय खबरों में आए थे जब उनके सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में 'जला हुआ'कैश बरामद हुआ था.

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नई दिल्‍ली:

सरकारी सूत्रों ने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के हवाले से बताया है कि सरकार हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए सभी दलों से बात करेगी. सूत्रों ने बताया है कि संसद के आगामी सत्र में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा. इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा इस साल की शुरुआत में उस समय खबरों में आए थे जब उनके सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में बेहिसाब 'जली हुई' नकदी बरामद हुई थी. तब से ही वह भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं. 

अलग से नहीं बनेगी समिति 

सरकारी सूत्रों की मानें तो जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग के लिए अलग जांच समिति की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. प्रस्ताव लोक सभा में लाया जाएगा या फिर राज्य सभा में, अभी यह तय नहीं है. आपको बता दें कि लोक सभा के लिए सौ और राज्य सभा के लिए पचास सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं. 

सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि मामले पर सबसे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात की है. उसके बाद अमित शाह,  पीएम मोदी से मिले. फिर सरकारी सूत्रों से खबर आई कि अगले सत्र में महाभियोग प्रस्‍ताव लाया जाएगा. फिर बीजेपी अध्‍यक्ष नड्डा ने अमित शाह से मुलाकात की है. नड्डा, राज्य सभा में सदन के नेता भी हैं. इसके बाद नड्डा और शाह राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मिलने पहुंचे. 

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क्‍या कहते हैं नियम 

नियमों के अनुसार नोटिस मिलने के बाद पीठासीन अधिकारी एक जांच समिति गठित करते हैं और उसकी रिपोर्ट के बाद महाभियोग प्रस्ताव लाया जाता है. लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार जस्टिस यशवंत वर्मा पर आपराधिक कार्रवाई महाभियोग के बाद ही संभव क्योंकि जब तक वे पद पर हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती.  

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विपक्ष से मदद की उम्‍मीद 

सरकार को विपक्ष के सहयोग की उम्मीद है क्योंकि महाभियोग प्रस्ताव के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता है. हालांकि विपक्ष जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ लंबित प्रस्ताव की याद दिला सकता है. यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब बॉम्‍बे लॉयर्स एसोसिएशन (बीएलए) की तरफ से मुख्‍य न्‍यायधीश (सीजेआई) बीआर गवई के सामने जस्टिर्स वर्मा के खिलाफ आपराधिक अभियोजन चलाने की अपील है. 

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