एक देश-एक जांच: गांव से मेडिकल कॉलेज तक के लिए सरकार ने तय की मेडिकल टेस्ट की सुविधा

ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा है कि यह सूची डॉक्टरों के लिए एक दिशा निर्देश की तरह है और मरीजों के लिए अधिकार का दस्तावेज भी है. अगर कोई जांच उस स्तर पर सूचीबद्ध है तो मरीज को मना नहीं किया जा सकता.

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एक देश एक जांच के लिए सरकार ने तय की सुविधा.

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  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने राष्ट्रीय आवश्यक डायग्नोस्टिक सूची 2025 का दूसरा संस्करण जारी किया है.
  • इस सूची में 157 लैब और 29 इमेजिंग जांचें शामिल हैं, जो स्वास्थ्य प्रणाली के 4 स्तरों के लिए तय हैं.
  • सूची के अनुसार मरीज को जरूरी जांच उसी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल पर निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी.
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नई दिल्ली:

अब अगर कोई रोगी सुदूर गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र में खांसी-बुखार लेकर जाए या किसी जिला अस्पताल में कैंसर की आशंका लेकर पहुंचता है तो डॉक्टर को यह तय करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा कि कौन सी जांच वहां उपलब्ध होनी चाहिए. मरीज को यह अधिकार होगा कि उसकी जरूरी जांच उसी स्तर पर की जाए. बीमारी की शुरुआती पहचान और सटीक इलाज के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने राष्ट्रीय आवश्यक डायग्नोस्टिक सूची (NEDL) 2025 का दूसरा संस्करण भी जारी कर दिया है जिसके तहत "एक देश एक चिकित्सा जांच" को बढ़ावा दिया जाएगा.

इसी साल जनवरी में ICMR ने इस सूची का पहला संस्करण जारी किया जिसमें संशोधन के बाद नई सूची जारी की है. ICMR का कहना है कि यह सूची अब भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के चारों स्तर स्वास्थ्य उपकेंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज के लिए जांच का खाका तय करेगी जिसका उद्देश्य चिकित्सा निदान के अंतर कम करना है ताकि यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज का लक्ष्य पूरा हो सके.

ICMR की यह सूची भारत में पहली बार एक ऐसा स्तरीकृत ढांचा प्रस्तुत करती है, जिसमें 157 प्रयोगशाला जांचें और 29 इमेजिंग जांचें शामिल हैं. अभी तक देश में पहले जांच सेवाओं को लेकर कोई एकीकृत नीति नहीं थी. एक ही बीमारी के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग स्तरों पर जांचें होती थीं. इससे न केवल भ्रम होता था बल्कि लाखों मरीज जांच से वंचित भी रह जाते थे.

ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा है कि यह सूची डॉक्टरों के लिए एक दिशा निर्देश की तरह है और मरीजों के लिए अधिकार का दस्तावेज भी है. अगर कोई जांच उस स्तर पर सूचीबद्ध है तो मरीज को मना नहीं किया जा सकता.

चिकित्सा जांच को 11 बीमारियों के ग्रुप में बांटा

नई सूची के तहत चिकित्सा जांच को 11 बीमारी समूहों में बांटा गया है जिनमें संक्रामक रोग, एनसीडी, पोषण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और डेंगू, चिकनगुनिया जैसे उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग शामिल हैं. पहली बार किशोर, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए अलग-अलग जांच सुझाव शामिल किए गए.

साथ ही गर्भवती महिलाओं और नवजातों की जांच की प्राथमिकता सूची बनाई है. इसके अलावा इस सूची को फ्री डायग्नोस्टिक सर्विसेज इनिशिएटिव (FDI) से जोड़ा है जिसका मतलब है कि मरीजों को ये जांचे मुफ्त मिल सकेंगी.

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हर राज्य इसलिए करेगा पालन

भारत में स्वास्थ्य विषय राज्य के अधीन आता है. केंद्रीय स्तर पर किए गए स्वास्थ्य फैसले कई राज्यों में राजनीतिक कारणों के चलते लागू नहीं हो पाते हैं. ऐसे में सरकार ने आईसीएमआर की इस सूची को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के साथ जोड़ा है जिसमें राज्यों को वित्तीय प्रोत्साहन देने से पहले इस सूची को अपनाने के सबूत पेश करने होंगे. उदाहरण के तौर पर तमिलनाडु, केरल और ओडिशा में पहले ही अपनी आवश्यक जांच सूची बनाई है लेकिन अब यह सूची एक राष्ट्रीय मानक के तौर पर काम करेगी.

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गांव से लेकर जिला अस्पताल तक में सुविधा

नई सूची के अनुसार, उप स्वास्थ्य केंद्रों पर हीमोग्लोबिन, यूरिन टेस्ट, ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट, एलएफटी, थायराइड प्रोफाइल, और पैथोलॉजी माइक्रोस्कोपी, मलेरिया-डेंगू रैपिड टेस्ट की सुविधा मिलेगी. पहली बार गांवों में रैपिड टेस्ट सुविधा दी जा रही है जो रोगी के शरीर में संक्रमित होने के बाद विकसित एंटीबॉडी का पता लगाती है.
 

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इस जांच का चिकित्सा इलाज पर असर नहीं है लेकिन आबादी में बीमारी कितनी फैली है? इसका पता जरूर लगाया जा सकता है. इसी तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लड शुगर, थायराइड, लिवर फंक्शन, एचआईवी, टीबी की जांच होगी.


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी, बेसिक कैंसर स्क्रीनिंग और जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन, एमआरआई, बायोप्सी, जेनेटिक टेस्ट और एडवांस कैंसर मार्कर जैसी चिकित्सा जांच भी होगीं.

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