केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश में अब तक कोरोनावायरस के डेल्टा प्लेस वेरिएंट (Delta plus variant) के अब तक 48 केस मिले हैं, इसमें सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र (20) में रिकॉर्ड हुए हैं. तमिलनाडु में 9 और मध्यप्रदेश में इस वेरिएंट के 7 केस मिले हैं जबकि केरल में यह संख्या तीन है. पंजाब और गुजरात में डेल्टा वेरिएंट के दो-दो केस हैं. आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, कर्नाटक और जम्मू में इस वेरिएंट का एक-एक केस है. गौरतलब है कि दो दिन पहले सरकार ने डेल्टा प्लस के देश में 40 केस होने की जानकारी दी थी. हालांकि सरकार ने कहा कि इस बार वेरिएंट का प्रसार अभी तक 'स्थानीय स्तर पर' ही है.
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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा, '10 दिनों में पता लग जायेगा कि डेल्टा प्लस पर वैक्सीन कितनी कारगर है. डेल्टा वैरिएंट में म्युटेशन प्रेशर से भी होता है और उसे ज्यादा बेहतर माहौल मिलने से होता है. क्लस्टर में वायरस फैलने से ज्यादा फैलेगा, इसका खतरा रहता है.' उन्होंने कहा कि डेल्टा वैरिएंट 80 देशों में है इसके 3 subtype हैं. 16 देशों में 25% से ज्यादा मामले डेल्टा वैरिएंट के हैं. उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून 2021 से डेल्टा-डेल्टा प्लस वैरिएंट का कल्चर टेस्ट हो रहा है. वैरिएंट से पब्लिक हेल्थ बहुत चेंज नहीं होती. कुछ वायरस इंफेक्शन ज्यादा फैला देते हैं. इस पर भी अध्ययन चल रहा है कि वैरिएंट के कारण वैक्सीन को भी मॉडिफाई किया जाएं. उन्होंने कहा कि सेकंड वेव खत्म नहीं हुई है, 92 जिलो में 5 से 10% पॉजिटिविटी है. डॉ. भार्गव ने कहा कि सितंबर तक बच्चों पर वैक्सीन पर फैसला हो जाएगा, इसका ट्रायल चल रहा है.
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उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाएं भी कोरोना वैक्सीन लगवा सकती हैं.डेल्टा प्लस को स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' माना है. एनसीडीसी डायरेक्टर, सुजीत सिंह ने इस दौरान बताया कि 28 लैब्स में जेनोमिक वेरिएशन को अध्यन किया जाता है. सिक्वेंसिंग में विदेश से आये लोगों की सैंपल जांच किये जाते हैं. कम्युनिटी सर्विलेंस किया जाता है जिससे कि वायरस का स्प्रेड पता किया जाता है. WHO की स्ट्रेटेजिक से अब काम किया जा रहा है. सभी राज्यों में लैब्स और अस्पताल से भी सैंपल लिया जा रहा है. तीसरा जरूरी पहलू है कि रेंफेक्शन केस या वैक्सीन फेलियर को जांच किया जाता है. सैंपल हर जिले अस्पताल से जो आता है उसमें VOI की जांच होती है. कुछ अलग VOI में लक्षण पाए जाने पर फिर जांच शुरू होती है ये एक लंबा प्रोसेस है.साइंटिफिक एविडेंस तलाशे जाते हैं इसमे बहुत दिन लग जाते हैं. जब हम लगता है कि मामले बढ़ रहे हैं तो फिर इसके लिए उस VOI (वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट) को चिन्हित किया जाता है कि वो VOC (वेरिएंट ऑफ कंसर्न) है.
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सेक्रेटरी (DBT) रेणु स्वरूप ने कहा कि कोई भी वेरिएंट प्रभाव न डाले, इसकी कोशिश होनी चाहिए. WHO ग्लोबल डेटा के हिसाब से वायरस को नाम देता है.जब वायरस में म्युटेशन होती है.जब कोई वायरस हेल्थ पर असर डालता दिखता है उसको वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट में रखा जाता है.एन्टी बॉडी को जब वायरस प्रभावित करता है तो उसे VOI में रखा जाता है.जब हम अध्ययन के दौरान पाते हैं कि इन्फेक्शन बढ़ रहा है VOI के कारण तो उसे फिर VOC में श्रेणी में डाला जाता है. डेल्टा बहुत सारी कंट्री में हैं. डेल्टा में पता लगा है कि एक और म्युटेशन हुई है. इसे नाम दिया गया डेल्टा प्लस. हम देख रहे हैं कि डेल्टा प्लस के कारण मामले बढ़ रहे हैं या नहीं. 300 साइट्स से सैंपल आ रहे हैं. अस्पतालों से भी सैंपल आ रहे हैं. 65,000 सैंपल में से 50,000 सैंपल टेस्ट हो चुके हैं. वायरस में बदलाव होता रहेगा. हमें अपना ध्यान रखनाहोगा. मंत्रालय INSACOG से बराबर संपर्क में बना हुआ है.लव अग्रवाल ने कहा कि जहां ज्यादा मामले होंगे वहां म्युटेशन भी ज्यादा होगा. महाराष्ट्र में इस कारण भी म्युटेशन वायरस के ज्यादा मामले हैं. उन्होंने कहा कि पीक से 88% केस में कमी आई है. देश मे अब 125 जिलों में रोज 100 केस आ रहे हैं. गृह मंत्रालय और उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्यों को कहा था कि मामलो को देखते हुए lockdown में ढील दी जाएं. राज्य हालांकि स्वतंत्र है लेकिन केंद्र लगातार संपर्क बनाए हुए है.