डिजिटल कॉन्टेंट, स्ट्रीमिंग को नियमित करने के लिए सरकार ने बनाए हैं नए नियम

डिजिटल कॉन्टेंट और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मों को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नए नियमों में कड़ा ओवरसाइट मैकेनिज़्म शामिल होगा, जिसमें कई मंत्रालयों का योगदान रहेगा.

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डिजिटल कॉन्टेंट के लिए नए नियम

डिजिटल कॉन्टेंट (Digital Content) और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मों को नियमित (Regulate Digital Content) करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नए नियमों में कड़ा ओवरसाइट मैकेनिज़्म शामिल होगा, जिसमें कई मंत्रालयों का योगदान रहेगा. इसके अलावा एक आचार संहिता भी होगी, जो 'भारत की प्रभुसत्ता तथा अखंडता' को प्रभावित करने वाले और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकने वाले कॉन्टेंट को प्रतिबंधित करेगी.इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (गाइडलाइन्स फॉर इंटरमीडियरीज़ एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021 में पहली बार बताया गया है कि डिजिटल न्यूज़ संगठनों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों तथा OTT स्ट्रीमिंग सेवाओं को सरकार द्वारा कैसे नियमित किया जाएगा.

ड्राफ्ट नियमों की एक प्रति, जिसे केंद्रीय IT मंत्री रविशंकर प्रसाद तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा जारी किया जाना है, को इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) ने जारी कर दिया है.ड्राफ्ट के मुताबिक, ओवरसाइट मैकेनिज़्म में एक कमेटी भी बनाई जाएगी, जिसमें रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, विधि मंत्रालय, IT मंत्रालय तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे.

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कमेटी के पास आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर सुनवाई आहूत करने के लिए 'स्वतःसंज्ञान लेने के अधिकार' होंगे. कमेटी के पास अन्य कई अधिकारों के साथ-साथ उल्लंघनकर्ताओं को चेतावनी देने, निंदा करने, भर्त्सना करने, फटकारने तथा माफी मांगने के लिए कहने के भी अधिकार होंगे.सरकार संयुक्त सचिव अथवा उससे बड़े स्तर के एक अधिकारी की तैनाती 'प्राधिकृत अधिकारी' के तौर पर करेगी, जो कॉन्टेंट को ब्लॉक करने के निर्देश दे सकेगा.

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ड्राफ्ट नियमों के तहत किसी भी संदेश के सृजनकर्ता को ट्रेस कर सकना प्रमुख सोशल मीडिया वेबसाइटों के लिए अनिवार्य होगा, जो व्हॉट्सऐप तथा सिगनल जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन के खिलाफ है.

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इस ड्राफ्ट के चलते नेटफ्लिक्स और प्राइम वीडियो जैसी स्ट्रीमिंग सेवाएं भी सेवानिवृत्त हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जज के नेतृत्व वाली अपील संस्था के सम्मुख पेश होने के लिए बाध्य होंगी. अगर इस संस्था को लगता है कि कॉन्टेंट से कानून का उल्लंघन होता है, तो इसके पास ऐसी शक्तियां होंगी, जिनके तहत यह कॉन्टेंट को सरकार-नियंत्रित कमेटी के पास भेज सकेंगी, ताकि ब्लॉकिंग आदेश जारी किए जा सकें.

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NDTV के अखिलेश शर्मा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नए नियमों के मुताबिक, केंद्र सरकार के नोटिस के 72 घंटे के अंदर कार्रवाई करना अनिवार्य होगा. टेक कंपनियों को शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी. चीफ कम्प्लायन्स ऑफिसर की तैनाती करनी होगी. कानूनी एजेंसियों से तालमेल के लिए एक नोडल अधिकारी की भी नियुक्ति करनी होगी, और हर छह महीने में शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देनी होगी.

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OTT प्लेटफॉर्मों को तीन-स्तरीय व्यवस्था करनी होगी. एक - कंपनी के स्तर पर, दूसरा - सेल्फ रेग्यूलेशन के लिए और तीसरा - ओवरसाइट मैकेनिज़्म. दर्शकों की उम्र के हिसाब से OTT के कॉन्टेंट का वर्गीकरण होगा - U, UA 7, UA 13 आदि. कॉन्टेंट का वर्गीकरण हिंसा, सेक्स, नग्नता, भाषा, ड्रग्स आदि के आधार पर भी होगा.

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