पहली महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती पर गूगल ने बनाया Doodle, जानें- उनके बारे में

स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी की ओर से पूरे देश में सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा था. साल 1922 में जबलपुर के ‘झंडा सत्याग्रह’ में शामिल होकर सुभद्रा कुमारी चौहान देश की पहली महिला सत्याग्रही बनी थीं.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
पहली महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती पर गूगल ने बनाया Doodle, जानें- उनके बारे में
नई दिल्ली:

सर्च इंजन गूगल (Google) ने आज सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती पर एक आकर्षक डूडल बनाया है. बचपन में आप सभी ने "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी."  पंक्तियां जरूर बोली और सुनी होगी. आपको बता दें, इन पंक्तियों को सुभद्रा कुमारी चौहान ने ही लिखा था.  आज उनकी 117वीं जयंती हैं.

गूगल ने काफी खूबसूरती से सुभद्रा कुमारी चौहान का डूडल बनाया है, जिसमें वह सफेद साड़ी में दिख रही हैं और कुछ सोचते हुए लिख रही हैं. उनके पीछे घोड़े पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई  और स्वतंत्रता आंदोलन सेनानी की एक छवि भी दिख रही है. आपको बता दें,  सुभद्रा कुमारी के दो कविता संग्रह और तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उन्हें सबसे ज्यादा प्रसिद्धि झांसी की रानी (कविता) के कारण मिली थी.

जानें- सुभद्रा कुमारी के बारे में

सुभद्रा कुमारी का जन्म 16 अगस्त 1904 के दिन इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक गांव में रामनाथसिंह के जमींदार परिवार में हुआ था. उन्हें बचपन से ही कविता लिखने का शौक था. सुभद्रा कुमारी चौहान, चार बहने और दो भाई थे. उनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह शिक्षा के प्रेमी थे और उन्हीं की देख-रेख में उनकी शुरुआती पढ़ाई शुरू हुई. आपको बता दें, वह 1921 में महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली वह प्रथम महिला थीं. वे दो बार जेल भी गई थीं. सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी, उनकी पुत्री, सुधा चौहान ने 'मिला तेज से तेज' नामक पुस्तक में लिखी है.

Advertisement

जब बनीं देश की पहली महिला सत्याग्रही

स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी की ओर से पूरे देश में सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा था. साल 1922 में जबलपुर के ‘झंडा सत्याग्रह' में शामिल होकर सुभद्रा कुमारी चौहान देश की पहली महिला सत्याग्रही बनी थीं.  स्वाधीनता के लिए रोज सभाएं लगा करती थीं जिनमे सुभद्रा कुमार चौहान से हिस्सा लेती और अपने विचार रखती थीं.

Advertisement

यहां पढ़ें उनकी प्रसिद्ध पंक्तियां

- यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥

- सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
 दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

- आ रही हिमाचल से पुकार,
है उदधि गरजता बार-बार,
प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?

Featured Video Of The Day
Chirag Paswan ने Rahul Gandhi पर साधा निशाना, कहा- जो झूठ, वो घूम कर बोलते थे...