गूगल और वर्ल्ड बैंक ने एआई की मदद से किसानों और नागरिकों की भलाई के लिए एक अहम साझेदारी का ऐलान किया है. इसका मकसद भारत जैसे विकासशील देशों के लिए खास एआई टूल्स बनाकर लोगों को जरूरी सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करना है. इस साझेदारी के तहत खास तरह का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा, जिसे ओपन नेटवर्क स्टैक्स कहा जाता है. इस पहल में गूगल क्लाउड की एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें उनका नया जेमिनी एआई मॉडल भी शामिल है.
40 से ज्यादा भाषाओं में मिलेगी जानकारी
विश्व बैंक की विशेषज्ञता से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह टेक्नोलॉजी कृषि, स्वास्थ्य और स्किलिंग (कौशल विकास) जैसे महत्वपूर्ण सेक्टरों में सरकारों को तेजी से सेवाएं लागू करने में मदद करे. सबसे बड़ी बात यह है कि इन सेवाओं में एआई का इस्तेमाल होगा और नागरिक 40 से ज्यादा भाषाओं में इसका उपयोग कर सकेंगे. इसके लिए महंगे स्मार्टफोन की जरूरत नहीं होगी, ये साधारण डिवाइस पर भी काम करेंगे.
किसानों के लिए फायदेमंद होगाः अजय बंगा
विश्व बैंक के प्रमुख अजय बंगा ने इसके बारे में बताते हुए कहा कि यह डिजिटल सिस्टम छोटे किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा, लेकिन इसके लिए हम सबको मिलकर काम कराना होगा. उन्होंने कहा कि खराब मौसम की मार से पूरे साल की मेहनत को बर्बाद होने से बचाने के लिए गर्मी सहन करने वाले बीज, मिट्टी के अनुरूप उर्वरक, पुनर्जीवन तकनीक, कुशल सिंचाई और ठोस बीमा एवं वित्त व्यवस्था जरूरी है. डिजिटल सिस्टम के जरिए इन सबको जोड़ने का काम किया जा सकता है.
फोटो से ही फसल की बीमारी बता सकेंगे
उन्होंने कहा कि ऐसे छोटे एआई टूल्स काफी काम के हो सकते हैं, जो फसल की सिर्फ फोटो देखकर बता सकें कि उनमें कौन सी बीमारी लगी है या उनके लिए कौन सी खाद अच्छी रहेगी. बेसिक फोन में काम करने वाले इन टूल्स के इस्तेमाल से किसान मौसम खराब होने से पहले ही बचाव के उपाय कर सकते हैं. साथ ही, सुरक्षित तरीके से पेमेंट भी कर सकते हैं.
लागत घटाने में मददगार साबित होंगे
अजय बंगा ने कहा कि इन टूल्स का सिर्फ इतना ही फायदा नहीं होगा. ये फसल के डेटा और हिस्ट्री को सुरक्षित रखेंगे, जिसके भविष्य में लागत घट सकेगी, कम पूंजी की जरूरत होगी और ज्यादा निवेशक इस तरफ आएंगे. हम कुछ इसी तरह का सिस्टम बनाना चाहते हैं. विश्व बैंक प्रमुख ने कहा कि ये सिर्फ थ्योरी नहीं है, भारत के उत्तर प्रदेश में ऐसा किया भी जा रहा है. उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले मैं उत्तर प्रदेश गया था. वहां मैंने यह सब होते हुए खुद देखा. डिजिटल सिस्टम की बदौलत इसके काफी अच्छे परिणाम आए हैं. यह पैमानों पर खरा उतरा है.
उन्होंने कहा कि ये इस बात का सबूत है कि ये सिस्टम काम करता है और अब हमें इसे विस्तार देना है और ये नामुमकिन नहीं है. हम इस तरह का इकोसिस्टम जहां भी संभव हो, बनाना चाहते हैं. लेकिन यह तभी सफल होगा जब सरकार, बिजनेस और डेवलपमेंट पार्टनर एक साथ मिलकर काम करें.