सुशासन ने इस धारणा को खत्म किया है कि घोटालों के बिना सरकार नहीं चल सकती: प्रधानमंत्री मोदी

पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा लिखित और बोले गए विभिन्‍न दस्तावेजों पर शोध एवं उनके संकलन का कार्य महामना मालवीय मिशन द्वारा किया गया, जो महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के आदर्शों और मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित एक संस्था है.

Advertisement
Read Time: 25 mins
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनके शासन में स्थापित सुशासन के उदाहरणों ने इस धारणा को खत्म कर दिया है कि घोटालों के बिना सरकार चल ही नहीं सकती. यहां एक कार्यक्रम में प्रख्यात विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय की संकलित रचनाओं के 11 खंडों की प्रथम श्रृंखला का विमोचन करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का लगातार प्रयास आम लोगों को उनके घर तक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें इधर-उधर भटकना न पड़ें.

पीएम मोदी ने कहा, ‘‘सुशासन का एक और पहलू है, ईमानदारी और पारदर्शिता. इस देश में एक धारणा बन गयी थी कि घोटालों के बिना सरकार चल ही नहीं सकती. 2014 से पहले, हम लाखों करोड़ रुपये के घोटालों की चर्चाएं सुनते थे.'' मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन हमारी सरकार के दौरान सुशासन की कई पहलों ने आशंकाओं से भरी उन धारणाओं को भी तोड़ दिया है.''

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी सरकार के शक्तिशाली बनने में उसके संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. मालवीय ने अपने जीवनकाल में ऐसे कई संस्थान स्थापित किए जहां राष्ट्रीय व्यक्तित्वों का निर्माण हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘काशी हिंदू विश्वविद्यालय के बारे में तो सारी दुनिया जानती है. उन्होंने ऋषिकेश में ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम, प्रयागराज में भारती भवन पुस्तकालय और लाहौर में सनातन धर्म महाविद्यालय की स्थापना की. मालवीय जी ने राष्ट्र निर्माण की अनेक संस्थाओं को देश को समर्पित किया.''

Advertisement

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मालवीय के पदचिह्नों पर चलते हुए उनकी सरकार ने एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाकर विकास को गति देने के लिए कई संस्थान बनाए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की आधारशिला रखी गयी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च भी स्थापित किया गया है.'' पीएम मोदी ने कहा, ‘‘ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक विषयों पर चिंतन के लिए भारत ने बीते दिनों वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन भी बनाया और भारत-पश्चिम एशिया आर्थिक गलियारा भी शुरू किया...भारत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की कई संस्थाओं का निर्माता बन रहा है.''

Advertisement

पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेजी भाषा का विद्वान होने के बावजूद मालवीय भारतीय भाषाओं और आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उसके इस्तेमाल के प्रबल पक्षधर रहे. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर रही है जो भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता देती है और उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम भी अब मातृभाषा में पढ़ाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है कि देश को इस काम के लिए 75 साल इंतजार करना पड़ा.''

Advertisement

महामना मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर यहां स्थित विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और कानून व न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के साथ अन्य गणमान्य लोग भी शामिल हुए. ये द्विभाषी रचनाएं (अंग्रेजी और हिंदी) 11 खंडों में लगभग 4,000 पृष्ठों में हैं, जो देश के हर कोने से एकत्र किए गए पंडित मदन मोहन मालवीय के लेखों और भाषणों का संग्रह हैं. इन खंडों में उनके अप्रकाशित पत्र, लेख और ज्ञापन सहित भाषण, वर्ष 1907 में उनके द्वारा शुरू किए गए हिंदी साप्ताहिक 'अभ्युदय' की संपादकीय सामग्री, समय-समय पर उनके द्वारा लिखे गए लेख, पैम्फलेट एवं पुस्तिकाएं शामिल हैं.

Advertisement

इसमें वर्ष 1903 और वर्ष 1910 के बीच आगरा तथा अवध के संयुक्त प्रांतों की विधान परिषद में दिए गए उनके सभी भाषण, रॉयल कमीशन के समक्ष दिए गए वक्तव्य, वर्ष 1910 और वर्ष 1920 के बीच इंपीरियल विधान परिषद में विभिन्‍न विधेयकों को प्रस्तुत करने के दौरान दिए गए भाषण, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले और उसके बाद लिखे गए पत्र, लेख एवं भाषण तथा वर्ष 1923 से लेकर वर्ष 1925 के बीच उनके द्वारा लिखी गई एक डायरी शामिल है.

पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा लिखित और बोले गए विभिन्‍न दस्तावेजों पर शोध एवं उनके संकलन का कार्य महामना मालवीय मिशन द्वारा किया गया, जो महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के आदर्शों और मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित एक संस्था है. प्रख्यात पत्रकार राम बहादुर राय के नेतृत्व में इस मिशन की एक समर्पित टीम ने इन सभी रचनाओं की भाषा और पाठ में बदलाव किए बिना ही पंडित मदन मोहन मालवीय के मूल साहित्य पर कार्य किया है. इन पुस्तकों का प्रकाशन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्‍थ प्रकाशन प्रभाग द्वारा किया गया है.
 

Featured Video Of The Day
Lebanon Pager Blast: पहले पेजर फिर वॉकी टॉकी, क्या हमलों के पीछे Israel की खुफिया Agency Mossad?
Topics mentioned in this article