दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा (GN Saibaba) के खिलाफ माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में महाराष्ट्र पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले एक विशेष लोक अभियोजक ने शुक्रवार को दावा किया कि उन्हें तीन महीने पहले मामले से अचानक हटा दिया गया था. हालांकि, पुलिस ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने खुद मामले से मुक्त किए जाने के लिए कहा था.
अधिवक्ता पी के सतीनाथन मामले में विशेष अभियोजक के रूप में गडचिरोली सत्र अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान और बाद में उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष पेश हुए थे, जहां साईबाबा और अन्य दोषियों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई हुई थी.
उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उनकी दोषसिद्धि को खारिज कर दिया. प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किए जाने पर सतीनाथन ने कहा कि उन्हें तीन महीने पहले मामले में पेश नहीं होने के लिए कहा गया था.
सतीनाथन ने कहा, ‘‘मुझे गडचिरोली, नक्सल रेंज के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) संदीप पाटिल का एक पत्र मिला, जिसमें मुझे इस मामले में अब से पेश नहीं होने का निर्देश दिया गया क्योंकि एक वरिष्ठ वकील की नियुक्ति की गई.''
हालांकि, डीआईजी पाटिल ने इस बात से इनकार करते हुए दावा किया कि सतीनाथन को उनके ही अनुरोध पर मुक्त किया गया था. इस पर, सतीनाथन ने कहा कि उन्होंने कभी भी मुक्त करने के लिए नहीं कहा, बल्कि केवल यह मांग की कि एक वरिष्ठ वकील को उच्च न्यायालय के समक्ष बहस करने के लिए नियुक्त किया जाए. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पुलिस ने मुझे ही मामले से मुक्त कर दिया.''
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