"भारतीय धरती पर वैश्विक नेता..." : विचारक एस गुरुमूर्ति ने बताया 2024 चुनाव का क्या होगा ग्लोबल इम्पैक्ट?

S Gurumurthy ने कहा कि भारत एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में उभरा है, जो संभवतः भविष्य में दुनिया को शीत युद्ध से बच सकता है. इसलिए जब आप इस बार एक सरकार और एक नेता को चुन रहे हैं, तो आप भारत की धरती पर एक वैश्विक नेता को चुन रहे हैं.

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एस गुरुमूर्ति ने एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया से खास बातचीत की.
नई दिल्ली:

लेखक और विचारक एस गुरुमूर्ति (S Gurumurthy) ने एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया (Sanjay Pugalia) से खास बातचीत में 2024 के आम चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के महत्व पर चर्चा की. यह पूरा इंटरव्यू मंगलवार दोपहर 1 बजे और रात नौ बजे चलेगा. इंटरव्यू के एक खास अंश में संजय पुगलिया ने एस गुरुमूर्ति से सवाल किया कि वैश्विक स्तर पर ये चुनाव क्यों बेहद अहम है? क्यों इसे एक आम चुनाव की तरह नहीं देखा जा रहा और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को लेकर यह भी बहस चल रही है कि क्या वे लोकतांत्रिक हैं? आपने आपातकाल (Emergency) के दौरान भूमिगत कार्यकर्ता के रूप में काम किया है और अब हम यह सुनते हैं कि कम लोकतंत्र, अधिक लोकतंत्र बनाम अस्थिर सरकार. आप क्या सोचते हैं?

एस गुरुमूर्ति ने जवाब में कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस तरह के सवाल करने वाले लोगों को पता है कि आपातकाल क्या था? मैंने आपातकाल का अनुभव किया है. मैं भूमिगत था. मैं अपने पिता के श्राद्ध तक में शामिल नहीं हो सका था. मैं अपने घर में खाना नहीं खा सकता था. इस तरह की स्थिति उस समय बनी हुई थी. हर जगह घुप्प अंधेरा था. यह कहना कि अब अघोषित आपातकाल है, इसका मतलब यह है कि ये लोग आपातकाल के बारे में जानते ही नहीं हैं. आपातकाल का मतलब है सभी अधिकारों पर एक संवैधानिक रोक. ऐसा नहीं है कि एक मजबूत नेता मजबूत स्थिति में हो तो वह आपातकाल हो जाता है. एस गुरुमूर्ति ने कहा कि आप उन्हें (नरेंद्र मोदी को) निरंकुश (Autocrate) कहते हैं. एक निरंकुश तभी उभर सकता है, जब संविधान स्वयं उसे निरंकुशता का अधिकार दे. आपातकाल के दौरान यही हुआ था. हालांकि, ऐसी स्थिति इस देश में अब कभी उत्पन्न नहीं हो सकती, क्योंकि जनता पार्टी की सरकार ने संविधान में संशोधन कर दिया है. अब जब तक कहीं भी सशस्त्र विद्रोह न हो, तब तक आप आपातकाल की घोषणा नहीं कर सकते और तब भी आप केवल उसी क्षेत्र में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, जिसमें सशस्त्र विद्रोह हुआ हो.

"मोदी न होते तो..."
एस गुरुमूर्ति ने कहा कि अब यदि आप जानना चाहते हैं कि वैश्विक स्तर पर क्या हो रहा है तो भारत बदल रहा है. मैं आपको बता सकता हूं कि यह बदलाव भारत के उदय के साथ-साथ मोदी के उदय का है. जो दुनिया उन्हें एक मिनी हिटलर के रूप में देखती थी, आज वह खुद को ग्लोबल लीडर साबित कर पाए हैं. आप सोच सकते हैं कि इसके लिए मोदी ने किस प्रकार की क्षमता और किस प्रकार का प्रयास किया होगा? उन्होंने खुद को बदला और भारत को बदल दिया. उनके लिए दो फैसलों से यह साबित होता है. पहला कि भारत वैक्सीन का उत्पादन करेगा. हर कोई हंसा. हम सब हंसे. हम हमेशा देखते रहे थे कि वैक्सीन का उत्पादन कौन करता है और कौन इसे हमें निर्यात करता है. हम सभी बीमारियों को झेलते रहते थे और फिर वैक्सीन लेते थे, लेकिन मोदी ने कहा कि मैं वैक्सीन का उत्पादन करूंगा और उन्होंने उत्पादन किया. एक नहीं बल्कि दो. उन्होंने हमें बचाया. नहीं तो हमें कभी वैक्सीन ही नहीं मिलता. कोई भी देश उतनी संख्या में वैक्सीन का उत्पादन नहीं कर सकता था, जितनी हमें जरूरत थी.

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"अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाती"
दूसरा, यूक्रेन पर उनका लिया गया निर्णय. निर्णय लेने के लिए उनके पास 10 दिन नहीं थे. उनके पास निर्णय लेने के लिए 10 घंटे नहीं थे. उनके पास निर्णय लेने के लिए शायद कुछ घंटे थे और उन्होंने तटस्थ रहने का निर्णय लिया, जिसका अर्थ था रूस का समर्थन करना. यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए आपके द्वारा किया गया सबसे बड़ा अपमान था और उन्होंने जो किया, वह केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं था. वह जानते थे कि यूक्रेन युद्ध का मतलब है कि तेल 200 डॉलर तक पहुंच जाएगा. उन्होंने रूस से रुपये में तेल खरीदने का फैसला किया. इसके चलते तेल की कीमतें कंट्रोल में रहीं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती थीं. कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की अस्तित्व पर इससे संकट आ सकता था. मगर, हमारे दोनों हाथों में लड्डू थे. इसलिए मेरा मानना है कि भारत एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में उभरा है, जो संभवतः भविष्य में दुनिया को शीत युद्ध से बच सकता है. इसलिए जब आप इस बार एक सरकार और एक नेता को चुन रहे हैं, तो आप भारत के लिए एक नेता नहीं चुन रहे हैं, आप भारत की धरती पर एक वैश्विक नेता चुन रहे हैं.

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