राज्यसभा में पीएम मोदी की मौजूदगी में बोले गुलाम नबी आजाद- प्रतिष्ठा का सवाल न बनाएं, केंद्र वापस ले कृषि कानून

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वयं इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए. उस समय प्रधानमंत्री सदन में सदन में मौजूद थे.

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गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में उठाया कृषि कानूनों को मुद्दा

गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किले में हुयी हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए किंतु ‘‘निर्दोष किसानों को निशाना'' नहीं बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाए बिना नए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए.

पीएम मोदी को स्वयं कानून वापस लेने की घोषण करनी चाहिए

आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वयं इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए. उस समय प्रधानमंत्री सदन में सदन में मौजूद थे.इसके साथ ही आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस किया जाना चाहिए और विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्व की स्थिति में ही वहां विकास हो सकता है.

आजाद ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुयी चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि वह सरकार से इन कानूनों को वापस लेने का आग्रह करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान गुम हो गए लोगों का पता लगाने के लिए सरकार को एक समिति बनानी चाहिए.

राष्ट्रीय ध्वज का अपमान निंदनीय

आजाद ने 26 जनवरी को हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बेहद निंदनीय है और पूरा विपक्ष उसकी निंदा करता है और क्योंकि यह लोकतंत्र के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने उस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.

किसान हैं देश की सबसे बड़ी ताकत

राज्यसभा में बुधवार को विपक्ष के नेता आजाद ने किसानों को देश की सबसे बड़ी ताकत करार देते हुए कहा कि किसान अंग्रेजों के जमाने से संघर्ष करते रहे हैं और हर बार उन्होंने शासन को झुकने के लिए मजबूर किया. आजाद ने कहा कि किसानों की ताकत देश की सबसे बड़ी ताकत है और उनसे लड़ाई कर हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कुछ पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि जो व्यक्ति देश का पूर्व विदेश राज्य मंत्री रह चुका हो तथा विश्व में देश का नेतृत्व कर चुका हो, जिसे लोगों ने लोकसभा के लिए चुना हो, वह व्यक्ति देशद्रोही कैसे हो सकता है। आजाद ने कहा कि अगर वे देशद्रोही हैं तो हम सब देशद्रोही हैं। उन्होंने राजद्रोह के मामले वापस लिए जाने की मांग की.

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