गाजियाबाद: सांसों पर प्रदूषण का शिकंजा, अस्पतालों में सांस की बीमारी के मरीजों की भीड़ बढ़ी

देश के सबसे प्रदूषित शहरों में एक गाजियाबाद में रोजाना चार से पांच हजार मरीज सांस की बीमारी के आ रहे है. इसमें 300 से 400 लोग अस्पताल में रोजाना भर्ती होने को मजबूर हैं.

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गाजियाबाद में प्रदूषण से परेशान अस्थमा के मरीजों की अस्पतालों में भीड़ लग रही है.

गाजियाबाद:

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने अब वहां के लोगों का सांस लेना भी दूभर कर दिया है. जहरीली हवा की मार अब लोगों पर पड़ने लगी है. देश के सबसे प्रदूषित शहरों में एक गाजियाबाद में रोजाना चार से पांच हजार मरीज सांस की बीमारी के आ रहे है. इसमें 300 से 400 लोग अस्पताल में रोजाना भर्ती होने को मजबूर हैं. गाजियाबाद के जिला अस्पताल में भर्ती अर्थला की राजमती देवी को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. हफ्ताभर प्राइवेट डॉक्टरों के चक्कर काटेने और 50 हजार खर्च हो जाने के बाद अब राजमती देवी को सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. उनका बेटा सुभाष सिक्युरिटी में काम करता है. सुभाष ने कहा, अब कुछ नहीं बचा है लिहाजा सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया है. केवल राजमती देवी ही नहीं बल्कि अस्पताल में ऐसे मरीजों की तदाद काफी बढ़ी है जो जहरीली हवा से परेशान है.

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डासना की सम्मो का भी यही हाल है तो कोटगांव की आरती भी परेशान है. दोनों को सांस फूलने की शिकायत है और अब ऑक्सीजन दी जा रही है. अकेले गाजियाबाद के जिला अस्पताल में ऐसे करीब तीस फिसदी मरीज बढ़े है जो सांस की बीमारी से परेशान हैं. किसी की सांस फूल रही है तो किसी को आंखो में जलन में हो रही है. किसी में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है. खासकर अस्थमा और ह्रदय के मरीज का हाल ज्यादा बुरा है.

गाजियाबाद जिला अस्पताल के सीएमओ डाक्टर अनुराग भार्गव ने कहा कि अब तो कई मरीजो को दवा को डोज दोगुना देना पड़ रहा है.  जब ऐसे मरीज अस्पताल में आ रहे है तो डॉक्टरों पर काफी दवाब भी पड़ा है. पहले ही सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है ऐसे में हालात नहीं सुधरे तो स्थिति बेकाबू होने में देर नहीं लगेगी. सीनियर फीजिशयन डॉक्टर संतराम वर्मा कहते हैं दवाब तो बढ़ा है पर हम इलाज कर रहे हैं, उन्हें छोड़ नहीं सकते. प्रदूषण की मार बच्चों पर ज्यादा पड़ी है. सैकड़ो बच्चों अस्पातल में इलाज के लिए आ रहे हैं. हालात को जल्द संभालना जरूरी है. 

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आईएमए के गाजियाबाद के अध्यक्ष डाक्टर आर के गर्ग का कहना है कि यहां की 38 लाख आबादी में 8 से 10 फिसदी लोगों पर प्रदूषण का असर है लिहाजा इसी को देखकर इससे निपटने की पुख्ता तैयारी करनी होगी अन्यथा हालात बदतर होने में देर नहीं लगेगी.

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