चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) एक मुखर लेकिन बेहद लोकप्रिय "soldier's general" थे जिनका बुधवार को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया. हालांकि अपने करियर में जनरल रावत पहले एक सीमा संघर्ष (border battle) में घायल भी हो चुके थे और एक विमान हादसे में भी बचने में सफल हुए थे. पारंपरिक तौर पर भारत में सेना पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार के विपरीत राजनीतिक मामले से अलग रहती है. इन देशों ने कई तख्तापलट देखे हैं.
63 वर्षीय जनरल रावत, जिनकी गिनती पीएम नरेंद्र मोदी के बेहद करीबियों में होती थी, विदेश नीति से लेकर घरेलू राजनीति तक के सवालों पर खुलकर अपनी राय रखते थे. सेना प्रमुख रहते हुए उन्होंने कहा था कि नागरिकों को अपने देश की सेना से डरना चाहिए. उन्होंने 2017 में कहा था, 'विरोधियों को आपसे डरना चाहिए और इसी के साथ आपके लोगों को भी आपसे डरना चाहिए. हम एक दोस्ताना सेना (friendly Army)हैं लेकिन जब कानून व्यवस्था की बहाली के लिए बुलाया जाता है तो लोगों को हमसे डरना चाहिए. '
दो साल बाद जब उन्होंने नए नागरिकता का विरोध करने वालों की निंदा की तो सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्ष के नेताओं ने उन पर पद की शपथ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. जनरल रावत ऐसे सैन्य परिवार से आए थे जिसकी पीढि़यों ने भारतीय सशस्त्र बलों की सेवा की. उन्होंने वर्ष 1978 में सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर सेना को ज्वॉइन किया था. जब वे कश्मीर में दूरस्थ सीमा चौकी पर तैनात थे तो पाकिस्तानी बलों के साथ गोलीबारी के शिकार हो गए थे. उन्होंने इंडिया टुडे मैगजीन को बताया था, 'हम पाकिस्तान की भारी गोलीबारी की चपेट मे आ गए थे, एक गोली मेरे टखने में नहीं और छर्रे का एक टुकड़ा मेरे दाएं हाथ में लगा.' इसमें सर्जरी की जरूरत पड़ी. ठीक होने में लंबा समय लगा और उन्हें मेडल मिला. करीब चार दशक की सेवा के दौरान उन्होंने कश्मीर और चीन से लगी Line of Actual Control में सेना की कमान संभाली. वर्ष 2015 में वे पड़ोसी देश म्यांमार में सीमापार से आतंकवाद रोधी अभियान के प्रभारी थे. इसी वर्ष वे नगालैंड में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में बचे थे, जब उनका विमान टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही नीचे गिर गया था. इस हादसे में उन्हें मामूली चोटें आई थीं.