गीता गोपीनाथ ने कोरोना महामारी के बीच उदार नीतियों को वापस लेने को लेकर आगाह किया

आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर (नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड एकोनॉमिक रिसर्च) के नौवें सीडी देशमुख व्याख्यानमाला में गोपीनाथ ने वीडियों कांफ्रेस के माध्यम से संबोधन में कहा कि भारत सरकार के लिये लोगों को और सीधे तौर पर और मदद देने की गुंजाइश है.

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अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Economist Gita Gopinath) ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 महामारी (Covid-19 Epidemic) के बीच अगर उदार नीतिगत सहायता को कम किया जाता है, यह भारत के लिये नुकसानदायक होगा. साथ ही उन्होंने अगले सप्ताह पेश किये जाने वाले बजट में गैर-जरूरी खर्चों में कमी लाने पर भी जोर दिया. आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर (नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड एकोनॉमिक रिसर्च) के नौवें सीडी देशमुख व्याख्यानमाला में गोपीनाथ ने वीडियों कांफ्रेस के माध्यम से संबोधन में कहा कि भारत सरकार के लिये लोगों को और सीधे तौर पर और मदद देने की गुंजाइश है. वाशिंगटन स्थित आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘महामारी के बीच उदार नीतिगत रुख को समेटना (भारत के लिये) नुकसानदायक होगा.''

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उन्होंने कहा कि भारत का कर्ज -जीडीपी अनुपात 85 प्रतिशत तक चला गया है. महामारी के कारण फंसे कर्ज में वृद्धि के कारण बैंकों की स्थिति नाजुक हुई है. रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार बैंकों का सकल एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) सितंबर 2021 में बढ़कर 13.5 प्रतिशत हो सकता है जो एक साल पहले 7.5 प्रतिशत था. गोपीनाथ ने कहा कि बजट में कई गैर-जरूरी खर्चें हें, जिसमें कमी की जा सकती है. ‘‘साथ ही माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह व्यवस्था को और प्रभावी बनाने तथा स्पष्ट विनिवेश योजना लाने की जरूरत है. संसद में वित्त वर्ष 2021-22 का बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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