एशिया के सबसे धनी व्यक्ति गौतम अडानी का दिल चैटजीपीटी पर आ गया है. यह कृत्रिम मेधा पर आधारित एक कार्यक्रम है और खुद से चुटकुले लिखने, कंप्यूटर कोड को त्रुटीहीन बनाने और यहां तक कि कविताएं और निबंध तैयार करने में भी सक्षम है.
अडानी का कारोबार हाल के वर्षों में खानों, बंदरगाहों और बिजली संयंत्रों से हवाईअड्डों, डेटा केंद्रों और रक्षा क्षेत्र तक फैला है. उन्होंने दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक में भाग लेने के बाद अपने विचार व्यक्ति किए.
उन्होंने सोशल मीडिया मंच लिंक्डइन पर लिखा, ''बैठकों के लिहाज से यह शायद मेरा सबसे व्यस्त डब्ल्यूईएफ था. मैं एक दर्जन से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और कई व्यापारिक नेताओं से मिला.''
विश्व आर्थिक मंच में सभी चर्चाओं के दौरान कृत्रिम मेधा (एआई) या लिखने-पढ़ने के संदर्भ में सृजित करने में योगदान देने वाले (जेनरेटिव) एआई में प्रगति का विषय छाया रहा.
उन्होंने कहा, ''हाल में चैटजीपीटी के आने से एआई के लोकतंत्रीकरण में एक परिवर्तनकारी क्षण आया है. इसकी आश्चर्यजनक क्षमताओं के साथ ही हास्यपूर्ण विफलताओं को देखना रोचक है. मुझे इसका उपयोग शुरू करने के बाद से कुछ हद तक इसकी आदत लगने की बात स्वीकार करनी चाहिए.''
अडानी ने कहा कि लिखने-पढ़ने के संदर्भ में सृजित करने में योगदान देने वाले एआई के व्यापक प्रभाव होंगे, और चिप डिजाइन तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन में अग्रणी होने के कारण अमेरिका बाकी दुनिया से आगे है.
अडानी ने लिखा कि इससे आधुनिक युद्ध में उपयोग किए जाने वाले हथियारों के लिए रास्ता भी खुलेगा.
उन्होंने कहा, ''एआई में समान रूप से क्षमता और खतरे, दोनों हैं. दौड़ पहले से ही जारी है. एआई पर सबसे अधिक उद्धृत वैज्ञानिक शोध पत्रों की संख्या में चीन अमेरिका को पीछे छोड़ रहा है.''
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी दौड़ है, जो जल्द ही जटिल हो जाएगी और पहले से जारी सिलिकॉन चिप युद्ध की तरह उलझ जाएगी.