गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर दिखेगा मद्रास रेजिमेंट का दम, ऐसी है जवानों की शौर्य गाथा

Republic Day Parade 2024: मद्रास रेजिमेंट (Madras Regiment) के जवानों के लिए कलरीपायट्टु मार्शल आर्ट सीखना अनिवार्य होता है.अपने 265 साल के इतिहास में मद्रास रेजिमेंट सैकड़ों मेडल जीत चुकी है. अशोक चक्र, 5 महावीर चक्र, 11 कीर्ति च्रक 36 वीर च्रक जैसे बहादुरी के तमगों से इनको नवाजा गया है. 

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गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर दम दिखाएगे मद्रास रेजिमेंट के जवान.

नई दिल्ली:

गणतंत्र दिवस की तैयारियों में जुटे मद्रास रेजिमेंट के जवान इस बार भी रिपब्लिक डे पर कर्तव्य पथ पर अपना साहस दिखाएंगे, इन जवानों को प्यार से थंबी भी कहा जाता है. मद्रास रेजिमेंट सेना (Republic Day) की सबसे पुरानी रेजिमेंट है, इसका गठन 1750 के आसपास हुआ था. इसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने फ्रांसीसियों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार किया था. इसी रेजिमेंट ने 1803 में पेशवाओं को हराया था. आज़ादी के बाद भी 1947 में पाकिस्तान के खिलाफ, 1962 में चीन के खिलाफ, और 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ इस रेजिमेंट ने अपना शौर्य दिखाया. 

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ऊटी में तैयार होते हैं मद्रास रेजिमेंट के जवान

यही नहीं, श्रीलंका में ऑपरेशन पवन और सियाचिन ग्लेशियर के ऑपेरशन मेघदूत में भी मद्रास रेजिमेंट के जवानों ने जबरदस्त बहादुरी दिखाई. इसका रेजिमेंटल सेंटर तमिलनाडु के वेलिंगटन, ऊटी में है, यहीं पर इनके जवानों को ट्रेनिंग दी जाती है. मद्रास रेजिमेंट का प्रतीक चिह्न हाथी है, जो पेशवाओं के खिलाफ एक बहुत मुश्किल जंग लड़ने के बाद उन्हें मिला था. इनका आदर्श वाक्य है- स्वधर्मे निधनम श्रेय:- यानी अपने कर्तव्य का पालन करते हुए जान दे देना भी श्रेयस्कर है.

मद्रास रेजिमेंट जवानों के लिए कलरीपायट्टु मार्शल आर्ट जरूरी

 मद्रास रेजिमेंट का वॉर क्राय है वीर मद्रासी अडी कोल्लू, अडी कोल्लू ,अडी कोल्लू यानी वीर मद्रासी आघात करो और मारो. यह सेना की एक इन्फैंट्री रेजिमेंट है. इस रेजिमेंट में ज़्यादातर सैनिक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से आते है, हालांकि इसमें अफसर देशभर से चुनकर पहुंचते हैं. इसके जवानों के लिए कलरीपायट्टु मार्शल आर्ट सीखना अनिवार्य होता है. अपने 265 साल के इतिहास में मद्रास रेजिमेंट सैकड़ों मेडल जीत चुकी है. अशोक चक्र, 5 महावीर चक्र, 11 कीर्ति च्रक 36 वीर च्रक जैसे बहादुरी के तमगों से इनको नवाजा गया है. 

2001 और 2014 में जीता गणतंत्र दिवस के बेस्ट मार्चिंग दस्ते का खिताब

मद्रास रेजिमेंट के दस्ते को 2001 और 2014 में  गणतंत्र दिवस के बेस्ट मार्चिंग दस्ते का खिताब भी मिल चुका है. सीमा पर सुरक्षा के अलावा आंतरिक शांति की चुनौतियों से भी मद्रास रेजिमेंट निपटती रही है. युद्ध के अलावा खेल और रोमांचक प्रदर्शनों में भी इस रेजिमेंट का कोई सानी नहीं है. इसके खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में मेडल जीतते रहे हैं. मद्रास रेजिमेंट भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा है. 

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