'तस्वीर नहीं दिखाएं सीधे नाम लें',कोडिन भैया वाले आरोप पर धनंजय सिंह की अखिलेश को दो टूक

संसद में धनंजय सिंह के नाम पर हो रही चर्चा पर उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का कोई होमवर्क नहीं है. पार्टी के नेता झूठे हैं. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को सीरियस मुद्दों की राजनीति करनी चाहिए. उनको इस बार 50 सीट भी नहीं मिलेगी. अजय कुमार दुबे की रिपोर्ट...

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अखिलेश यादव पर बरसे धनंजय सिंह.
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  • धनंजय सिंह ने सपा पर अपने खिलाफ राजनीति करने और अप्रत्यक्ष एजेंडा बनाने का आरोप लगाया.
  • उन्होंने कहा कि सांसदों द्वारा संसद में दी गई गलत बयानबाजी संवेदनहीनता दर्शाती है और यह व्यवहार उचित नहीं है.
  • धनंजय ने अखिलेश पर यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन को नुकसान पहुंचाने, छात्रों के भविष्य को खराब करने का आरोप लगाया.
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लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में कोडिन विवाद पर बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह को कोडीन भैया की संज्ञा दे दी गई है. इन तमाम आरोपों को लेकर धनंजय सिंह ने एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत कर अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखी. धनंजय सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने अप्रत्यक्ष रूप से एजेंडा बनाया हुआ है. पार्टी धनंजय को लेकर 5 सालों से मुद्दा बनाकर राजनीति कर रही है.

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आरोप लगाना है तो सीधा नाम लें अखिलेश

कोडिन मामले में बार-बार धनंजय सिंह का नाम उछलने को लेकर उन्होंने कहा अखिलेश जी मेरा नाम नहीं लेते हैं पर फोटो दिखाकर बात करते हैं. आरोप-प्रत्यारोप अगर करना है तो नाम लेकर कहें. सीधे सदन में जाकर समाजवादी पार्टी के सांसद जो बयान दे रहे हैं वह गलत है. इस तरह की गलत बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, ये व्यवहार सड़क पर चल सकता है संसद में नहीं. संसद में संवेदनहीनता में वक्तव्य नहीं दिए जाते.

धनंजय सिंह पर कोडिन भैया का आरोप केवल अखिलेश यादव नहीं बल्कि अभय सिंह भी लगा रहे हैं. जवाब में धनंजय का कहना है अभय सिंह ने जो कोडिन भैया बोला है वह अपने लिए कहा होगा. अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन का नाश कर दिया था. हर जिले में मुन्ना भाई तैयार किए. 50 लाख छात्रों का भविष्य खराब कर दिया.

समाजवादी पार्टी का कोई चाल चरित्र नहीं

लगातार आरोपों से आहत धनंजय सिंह ने अखिलेश यादव को घेरते हुए कहा अखिलेश और समाजवादी पार्टी का कोई चाल चरित्र नहीं है. उनके पास कोई मुद्दे नहीं है. उनकी लड़ाई बीजेपी से है. फिर भी वह उनसे लड़ रहे हैं. वह एक ही समय बीजेपी, बीएसपी और समाजवादी पार्टी से लड़ हैं. इसका मतलब यह है कि अखिलेश यादव बीजेपी को नहीं धनंजय सिंह को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते हैं.

आलोक को शुभम ने खुलवाई थी कप सिरप की एजेंसी

अमित सिंह, आलोक सिंह से रिश्तों को लेकर लगे तमाम आरोपों पर धनंजय सिंह ने कहा कि आलोक सिंह इस मामले में कोई किरदार नहीं है. उन्होंने कहा कि आलोक को वह बचपन से जानते हैं. वह उनके पड़ोसी हैं. उनके भाई से पारिवारिक संबंध हैं. आलोक ने ही उनको बताया था कि शुभम जायसवाल ने होलसेल एजेंसी खुलवाई थी. अमित टाटा भी इसमें साथ था. शुभम जायसवाल ने कहा था कि होलसेल में पैसा लगेगा तो महीने के 2 लाख की कमाई हो जाएगी. अगर आलोक को पता होता कि वह फ्रॉड है तो अपने नाम से एजेंसी क्यों खुलवाता. उसने मासूमियत में ऐसा कर दिया. धनंजय बोले कि जांच में सब सामने आ जाएगा. एसआईटी मामले की जांच कर रही है. वह सिर्फ राजनीतिक विषयों पर बात करेंगे किसी एजेंसी पर नहीं.

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9777 नंबर की UP में हजारों गाड़ियां हैं

आरोपियों के पास से मिले गाड़ी नंबर पर धनंजय सिंह ने कहा कि 9777 नंबर की गाड़ियां यूपी में हजारों हैं, तो क्या ये सब गाड़ियां उनकी हैं. उन्होंने कहा कि यह बचकानी बात है. जिस नंबर की गाड़ी अखिलेश यादव के पास है उस नंबर की गाड़ी और भी लोग चलाते होंगे.

आलोक सिंह से संबंधों पर धनंजय सिंह ने इनकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि अगर बेटा नशा कर रहा हो तो ये बात पिता को पता नहीं चलती है. फिर आलोक ने क्या किया ये जानकारी उनको कैसे होगी. उन्होंने कहा कि उनका संबंध उसके परिवार से है और आगे भी रहेंगे.

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सपा राजनीति के लिए सीरियस मुददे चुने

संसद में धनंजय सिंह के नाम पर हो रही चर्चा पर उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का कोई होमवर्क नहीं है. पार्टी के नेता झूठे हैं. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को सीरियस मुद्दों की राजनीति करनी चाहिए. उनको इस बार 50 सीट भी नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि अखिलेश बड़े नेता हैं. वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हैं. अगर वह सीरियस होते तो संसद में प्रधानमंत्री से जाकर सीबीआई नारकोटिक्स की जांच की मांग करते. उनको दिक्कत धनंजय सिंह और क्षत्रियों से है. 2022 में क्षत्रियों ने उनको घर भेज दिया था. इस बार भी उनका वही हाल होगा. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह और लालू यादव को पहली बार सीएम की कुर्सी पर बिठाना दो क्षत्रियों की ही देन थी.

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