लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों की कांफ्रेंस की वर्चुअल बैठक की और राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों से विधानमंडलों के कार्यकरण पर विचार विमर्श किया. इस अवसर पर उन्होंने याद दिलाया कि गत 19 अप्रैल को भी कोविड महामारी में जनप्रतिनिधियों की भूमिका विषय पर उन्होंने उनसे ऑनलाइन संवाद किया था.
इस अवसर पर ओम बिरला ने कहा कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से केंद्र सरकार ने 18 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्तियों के लिए देश भर में निःशुल्क टीकाकरण कार्यक्रम आरम्भ किया है. उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि अपने राज्यों में सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं जैसे विधान सभा, विधान परिषद्, पंचायत, नगरपालिका इत्यादि के सदस्यों को प्रेरित करें कि वो समाज में जनजागरण अभियान के माध्यम से कोविड के विषय में जनजागरण अभियान चलाएं ताकि देश के सभी नागरिकों को कोविड के विरुद्ध सुरक्षा कवच मिल सके.
लोकसभा अधिक ने जोर देकर कहा कि वैक्सीन के बारे में जनता में जो भी भ्रांतियां या भ्रम हैं, उन्हें दूर करने के लिए जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को निरंतर प्रयास करना चाहिए. इससे देश के चहुमुंखी विकास की राह प्रशस्त होगी.
यह जिक्र करते हुए कि पिछले दो वर्षों में लोक सभा में कई नई पहल की गई हैं, उन्होंने कहा कि उनका यह प्रयास रहा है कि सदस्य सभा की कार्यवाही में और अधिक प्रभावी तरीके से भाग ले सकें तथा सदन में चर्चा की गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि 17वीं लोक सभा के प्रथम 2 वर्षों में 5 सत्रों के दौरान सभा की उत्पादकता 122 प्रतिशत से अधिक रही है. साथ ही, नियम 377 के अधीन उठाए जाने वाले मामलों के सम्बंध में नए परिवर्तन किए गए हैं जिससे सदस्यों को अब 90 प्रतिशत से अधिक मामलों के उत्तर आने लगे हैं. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि शून्य काल में उठाए गए अधिकतम मुद्दों के जवाब सदस्यों तक पहुंचने लगे हैं जिससे उनके क्षेत्रों के उठाए गए विषयों के सकारात्मक परिणाम निकलने लगे हैं.
ओम बिरला ने कहा कि कोविड-19 के दौरान सत्रों का संचालन एक बड़ी चुनौती रहा है. लोक सभा का चौथा और पांचवा सत्र कोविड महामारी की स्थिति के बीच आयोजित किया गया था. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि सदस्यों के सहयोग तथा प्रतिबद्धता के कारण सदन की उत्पादकता इन सत्रों में भी 167 प्रतिशत एवं 114 प्रतिशत रही. साथ ही, उन्होंने पीठासीन अधिकारियों का धन्यवाद किया कि उन्होंने अपनी-अपनी विधान सभाओं में कोविड कंट्रोल रूम की स्थापना की जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं.
ओम बिरला ने संतोष व्यक्त किया कि संसद में डिजिटल माध्यम को अपनाने की दिशा में बहुत प्रगति की गई है. जहां पहले 40 प्रतिशत प्रश्न ई-नोटिस के माध्यम से प्राप्त होते थे, अब 90 प्रतिशत मामले ई-नोटिस के माध्यम से प्राप्त होने लगे हैं. उन्होंने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि सभी राज्यों की विधान सभाओं और विधान परिषदों में कार्यवाहियों का अब सोशल मीडिया या अन्य माध्यम से सीधा प्रसारण होने लगा है.
लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी बताया कि संसद के रिसर्च विभाग ने संसद सदस्यों को ऑनलाइन शोध, सन्दर्भ, विधायी और पृष्ठभूमि टिप्पण के रूप में नीतिगत मुद्दों और अन्य विषयों पर प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने में सक्रिय रूप से कार्य किया है. उन्होंने आगे कहा कि संसद ग्रंथालय द्वारा सदस्यों के लिए पुस्तकों की होम डिलीवरी भी आरम्भ की है. उन्होंने बताया कि संसद में ऐतिहासिक डिबेट्स के रखरखाव और अध्ययन पर भी जोर दिया जा रहा है जिससे उपयुक्त अवसर पर उनका सन्दर्भ लिया जा सके.
इस अवसर पर ओम बिरला ने याद दिलाया कि केवड़िया, गुजरात में पीठासीन अधिकारियों का 80वां सम्मेलन पिछले वर्ष आयोजित किया गया था. इससे पूर्व दिसम्बर, 2019 मे देहारादून मे 79वां सम्मेलन हुआ था. उन्होंने कहा कि पिछले सम्मेलनों में विभिन्न विषयों पर पीठासीन अधिकारियों द्वारा कुछ निर्णय लिए गए थे और उनके व्यापक परीक्षण के लिए समितियों का गठन किया गया था. इन समितियों की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कोविड संक्रमण की रफ़्तार कम होने के बाद 15 अगस्त के बाद एक तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा जहां इन समितियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी.
उन्होंने पीठासीन अधिकारियों को कोटा में कोचिंग संस्थानों के संचालकों की उस पहल के बारे में भी बताया जिसके अंतर्गत कोविड-19 के दौरान अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गई है. साथ ही महामारी के दौरान आर्थिक परेशानी झेलने वाले परिवारों के बच्चों के लिए कोटा में निशुल्क आवास की व्यवस्था का भी उन्होंने जिक्र किया.
इस वर्चुअल बैठक में राज्य विधानमंडलों के 31 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया और महामारी की रोकथाम के लिए विधायी प्रयासों की समीक्षा की.