पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने पत्नी के साथ भाजपा छोड़ी, मंगलवार को कांग्रेस में शामिल होंगे

बीरेंद्र सिंह ने पांच महीने पहले जींद में एक रैली में पार्टी को अल्टीमेटम दिया था कि अगर पार्टी ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन जारी रखा तो वह भाजपा छोड़ देंगे.

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बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र ने 10 मार्च को भाजपा सांसद के रूप में इस्तीफा दे दिया था.
चंडीगढ़:

पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह  2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद के पहले विस्तार में शपथ लेने वाले चार कैबिनेट मंत्रियों में से एक थे. सोमवार को बीरेंद्र सिंह भाजपा से इस्तीफा दे दिया. सिंह अब कांग्रेस में घर वापसी करेंगे, जिस पार्टी में वह पहले चार दशक से अधिक समय तक रह चुके हैं. उन्होंने मीडिया से कहा, “मैंने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और अपना इस्तीफा पार्टी प्रमुख जे.पी.नड्डा को भेज दिया है. मेरी पत्नी प्रेम लता, जो 2014-2019 तक विधायक थीं, ने भी पार्टी छोड़ दी है. कल (मंगलवार को), हम कांग्रेस में शामिल होंगे.”

जाट समुदाय के प्रसिद्ध नेता सिंह हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अगस्त 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे. सिंह के कांग्रेस में शामिल होने को हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं को लुभाने के कदम के रूप में देखा जा रहा है. सिंह के बेटे बृजेंद्र ने 10 मार्च को भाजपा सांसद के रूप में इस्तीफा दे दिया और "मजबूर राजनीतिक कारणों" का हवाला देते हुए कांग्रेस में शामिल हो गए.

बीरेंद्र सिंह ने पांच महीने पहले जींद में एक रैली में पार्टी को अल्टीमेटम दिया था कि अगर पार्टी ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन जारी रखा तो वह भाजपा छोड़ देंगे. बृजेंद्र के कांग्रेस में शामिल होने के दो दिन बाद भाजपा ने जेजेपी से अपना नाता तोड़ लिया.

इसके बाद भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को भी हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया. नायब सिंह सैनी ने 12 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उसी दिन सैनी के साथ भाजपा के चार विधायकों और एक निर्दलीय विधायक ने भी नई मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में शपथ ली थी. बाद में, सैनी ने आठ भाजपा विधायकों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया, जिनमें सात नए चेहरे हैं.

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