पश्चिम बंगाल में पूर्व वाम नेता अनीस खान की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. राजनीतिक दलों ने इस घटना में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं की संलिप्तता का आरोप लगाया है. हालांकि राज्य सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया.सीपीएम की छात्र शाखा एसएफआई के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने दिन में हावड़ा जिले के अमटा पुलिस थाने के सामने लगाए गए अवरोधकों को तोड़ दिया और खान की मौत के विरोध में पूरे पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन किया.खान के परिवार ने आरोप लगाया है कि शुक्रवार की रात पुलिस की वर्दी पहने कुछ लोग उनके अमटा स्थित घर पहुंचे, वाम नेता को घसीटकर छत पर ले गए और वहां से उन्हें नीचे फेंक दिया जिससे उनकी मौत हो गई.
खान संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सुर्खियों में आए थे.हालांकि पुलिस कहा है कि कोई भी पुलिस कर्मी खान के घर नहीं गया. पुलिस ने कहा कि वह अपने घर के पास मृत मिले थे. हावड़ा ग्रामीण की एसपी सौम्या रॉय ने कहा कि डीएसपी रैंक का एक अधिकारी इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करेगा. फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर नमूने एकत्र किए हैं. घटना के बाद व्यापक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. कांग्रेस, सीपीएम और भाजपा ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता हत्या के मास्टरमाइंड हैं जबकि सत्तारूढ़ दल ने दावा किया है कि यह गहरी साज़िश है जिसे संभवत: पश्चिम बंगाल के बाहर रचा गया .
आलिया विश्वविद्यालय के 500 से अधिक छात्रों ने पार्टी लाइन से हटकर शनिवार की रात मोमबत्ती मार्च के लिए कोलकाता में पुलिस के साथ संघर्ष किया. उनकी मांग है कि खान के हत्यारों को पकड़ा जाए और उन्हें ऐसी सज़ा दी जाए जो मिसाल कायम करे. एसएफआई राज्य समिति के सदस्य सुभाजीत सरकार ने कहा, “खान के परिवार और आलिया विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ एकजुटता दिखाते हुए स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) रविवार और सोमवार को राज्य भर में विरोध रैलियां निकालेगा.”
सरकार ने कहा, संयुक्त राष्ट्रीय सचिव दिप्सिता धर और प्रदेश अध्यक्ष प्रतिकुर रहमान के नेतृत्व में एसएफआई का एक प्रतिनिधिमंडल खान के आवास गया है. हम मानते हैं कि यह एक अलग घटना नहीं थी. उन्हें काफी समय से निशाना बनाया जा रहा था. हमें शक है कि घटना में स्थानीय टीएमसी नेताओं की संलिप्तता है.घटना के विरोध में प्रदर्शनकारी मंगलवार को मध्य कोलकाता में राइटर्स बिल्डिंग तक मार्च निकालेंगे.
सीपीएम के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी आरोप लगाया कि यह एक ''पूर्व नियोजित हत्या'' थी और मांग की कि दोषियों को राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलना चाहिए. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी टीएमसी पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि ऐसी हर घटना के पीछे टीएमसी के लोग हैं. हमलावर पुलिस की वर्दी और राइफल कैसे खरीद सकते थे?